टीपू पर होती रही है राजनीति मौजूदा राजनीति में टीपू सुल्तान के विषय में हमेशा राजनीति होती रही है। वर्तमान कांग्रेस सरकार उन्हें मैसूर के शेर के रूप में देखती रही है। यही कारण है कि सरकार ने प्रतिवर्ष 10 नवंबर को टीपू की जयंती के रूप में मनाया जाना निश्चय किया है। सरकार का मत है कि टीपू तकनीकि के मामले में काफी सुदृढ़ था। वह पहले मिसाइल मैन के रूप में जाना जाता है। उसने कर्नाटक को तकनीकि रूप से काफी सुदृढ़ किया। वहीं, टीपू के आलोचकों का कहना है कि टीपू हिंदू विरोधी था क्योंकि उसने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम और कोडागू में हिंदू पुजारियों की हत्या करवाई थी। इस मामले को लेकर दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर बयानबाजी करते रहे हैं। टीपू सुलतान की जयंती के अवसर पर पिछले वर्ष भी इसी तरह की राजनीति हुई थी।