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…तो महागठबंधन को लीड करेंगे तेजस्वी और उपेंद्र, ‘VIP से HAM’ की भरपाई की तैयारी

Hindustan Awam Morcha के अध्यक्ष Jeetan Ram Manjhi ने RJD नेता तेजस्वी यादव का काम आसान किया।
महागठबंधन ( Grand Alliance ) के नेताओं से हम प्रमुख कर रहे थे जरूरत से ज्यादा सीटों की मांग।
बदले सियासी समीरकणों के बीच होगा इस बार बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Election )।

Aug 21, 2020 / 04:58 pm

Dhirendra

Tejashwi Yadav and Upendra Kushwaha

Hindustan Awam Morcha के अध्यक्ष Jeetan Ram Manjhi ने RJD नेता तेजस्वी यादव का काम आसान किया।

नई दिल्ली। बिहार में कोरोना विस्फोट वायरस ( Coronavirus Pandemic ) और बाढ़ ( Floods ) की विभीषिका के बीच विधानसभा का चुनाव 2020 ( Assembly Election 2020 ) होना तय है। चुनाव को देखते हुए सियासी सरगर्मी भी तेज हो गई है। यही वजह है कि एनडीए ( NDA ) , महागठबंधन ( Grand Alliance ) और थर्ड फ्रंट ( Third front ) के बीच सीटों के आवंटन को लेकर सिर फुटौव्वल भी जारी है। इस बीच हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी ( Hindustan Awam Morcha Chief Jeetan Ram Manjhi ) की ओर से महागठबंधन से अलग होने की घोषणा ने आरजेडी, कांग्रेस, आरएलएसपी, वीआईपी व अन्य पार्टियों की राह आसान कर दी है।
इस फार्मूले पर सहमति के बन रहे हैं आसार

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अभी किसी भी गुट में सीटों के आवंटन को लेकर अंतिम फैसला नहीं हुआ है। लेकिन महागठबंध ( Mahagatrhbandhan ) में सीटों के आवंटन को लेकर एक मोटा अनुमान उभरकर सामने आ गया है। फिलहाल यह मानकर चला जा रहा है कि बिहर की कुल 243 विधानसभा सीटों में से 160 सीटों पर आरजेडी ( RJD ) को टिकटों का आवंटन तय करना है। शेष 83 सीटों पर कांग्रेस और आरएलएसपी ( Congress and RLSP ) के नेता आपस में सीटें तय कर चुनाव लड़ेंगे।
आरजेडी को अपने कोटे से वीआईपी ( VIP ) और सीपी-आईएमएल ( CPI-ML ) व अन्य छोटे दलों के दावेदारों को सीटों का आवंटन करना होगा। माना जा रहा है कि वीआईपी को 15 और अन्य को 15 सीटें आरजेडी दे सकती है। जहां तक आरएलएसपी की बातें हैं तो वह 35 से 36 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। 83 में से शेष सीटों यानि 47 से 48 सीटें कांग्रेस के खाते में जा सकती हैं। हालांकि, सीटों के आवंटन को लेकर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इसलिए सीटों के आवंटन को लेकर कुछ बदलाव की गुंजाइश अभी बनी हुई है।
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आरजेडी ने आरएलएसपी को इसलिए दी तवज्जो

जानकारी के मुताबिक आरजेडी की पकड़ मुस्लिम और यादव मतदाताओं पहले की तरह अब भी बनी हुई है। बिहार में यादव मतदाता 12 फीसदी और मुस्लिम मतदाता 13 फीसदी हैं। कोयरी ( कुशवाहा ) मतदाता 10 फीसदी हैं। इन पर उपेंद्र कुशवाहा की पकड़ मजबूत है। आरएलएसपी नेता उपेंद्र कुशवाहा ( RLSP leader Upendra Kushwaha ) का प्रभाव 243 में से 63 विधानसभा सीटों पर माना जाता है। बता दें कि 1995 में 39 और 2000 में 41 सीटों पर कोयरी ( कुशवाहा ) समाज के नेता विधानसभा पहुंचे थे।
वहीं 5 फीसदी मल्लाह मतदाताओं पर वीआईपी नेता मुकेश सहनी की पकड़ मजबूत है। इसके अलावा सवर्ण व अन्य जातियों के प्रभाव वाले क्षेत्रों में अपने-अपने कोटे से क्षेत्रीय दल आवश्यकतानुसार सीटों का आवंटन करेंगे।
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जीतन राम ने किया तेजस्वी का काम आसान

माना जा रहा है कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ( RJD Leader Tejashwi Yadav ) ने द्वारा हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा की जगह राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को ज्यादा तवज्जो दी है। इसका सीधा संबंध वोट बैंक से है। जीतन राम मांझी की पकड़ 5 फीसदी मतदाताओं पर है जबकि उनकी मांग आरएलएसपी जितनी सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने की थी। फिर गुरुवार को जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी। इससे तेजस्वी यादव का काम आसान हो गया। ऐसा इसलिए कि वो बुजुर्ग नेता जीतन राम मांझी को लेकर धर्मसंकट में फंसे हुए थे। अब हम के इस फैसले का सीधा लाभ महागठबंधन में आरएलएसपी और वीआईपी को मिलना तय है।
महागठबंधन की चुनावी रणनीति

जानकारी के मुताबिक महागठबंधन के नेता यह मानकर चल रहे हैं कि कुल मतदाताओं में 50 से 55 फीसदी मतदाता ही घर से बाहर वोट डालने के लिए निकलेंगे। वैसे भी बिहार में मतदान का अधिकतम प्रतिशत 60 फीसदी के आसपास रहता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए महागठबंधन के नेता 40 फीसदी वोट पर अपनी पकड़ पूरी तरह से मजबूत कर लेना की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
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जगदानंद , मनोज और अखिलेश दिलाएंगे सर्वण वोट

इसके साथ ही आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष और लालू यादव के करीबी जगदानंद सिंह, राज्यसभा सांसद मनोज झा, डॉ. अखिलेश सिंह व अन्य नेताओं के माध्यम से सवर्ण वोट हासिल करने की रणनीति पर महागठबंधन काम करेगी। उन्होंने कन्हैया कुमार की भूमिका के बारे में कहा कि उन्हीं भूमिका को लेकर महागठबंधन में कोई चर्चा नहीं है।
महागठबंधन के नेता इस बार यह मानकर भी चल रहे हैं कि जिसे गुट को इस बार कुल मतदाताओं में से बिहार में 25 फीसदी मतदाताओं का समर्थन हासिल होगा वो सरकार बनाने में कामयाब होगी।
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सियासी समीकरणों पर टिका सारा खेल

बिहार की राजनीति को लेकर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय युवा महासचिव आशीष कुमार सिन्हा का कहना है कि जीतन राम मांझी की महागठब्ंधन से अलग होने की घोषणा से यह तय माना जा रहा है कि अब महागठबंधन का चेहरा आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और आरएलएसपी नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा होंगे। उनके साथ विकासशील इंसान पार्टी ( VIP ) के नेता मुकेश सहनी अहम भूमिका निभाएंगे।
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जहां तक महागठब्ंधन की ओर से सीएम और डिप्टी सीएम की बात है तो उस पर महागठबंधन के नेताओं ने चुनाव बाद के लिए निर्णय टाल दिया है। उन्होंने कहा कि इस बार मतदान प्रतिशत कम रहने की उम्मीद है। इसलिए सभी सियासी दल अपने—अपने कोर वोट बैंक पर अपने पाले में बनाए रखने पर सबसे ज्यादा जोर दे रहे हैं। फिर इस बार बिहार विधानसभा का चुनाव पहले के अलग सियासी समीकरणों के बीच होने की उम्मीद है। इसलिए सरकार बनाने के लिए एक-एक सीट पर जीत के लिए जद्दोजहद सभी दलों को करनी पड़ेगी।

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