दरअसल, शिवसेना के मुखपत्र सामना में राहुल गांधी के जयपुर में दिए भाषण का उल्लेख किया गया है। सामना में लिखा है कि ‘राहुल गांधी ने हिन्दू और हिंदुत्ववादी की परिभाषा तय कर अपनी पार्टी को दिशा दी है। वो पार्टी जो ‘बेकार धर्मनिरपेक्षता’ में फंसी हुई थी उसने काफी लंबे समय के बाद देश के बहुसंख्यकों से अपील की है।’
बता दें 12 दिसम्बर को जयपुर में एक रेली के दौरान कहा था, “यह हिंदुओं का देश है हिंदुत्ववादियों का नहीं। 2014 के बाद से, हिंदुत्ववादी सत्ता में हैं, हिंदू नहीं। हमें उन्हें सत्ता से बाहर करने और हिंदुओं को शासन में लाने की आश्यकता है।”
सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने राहुल गांधी के इस भाषण की सराहना करते हुए लिखा, ‘राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी को नई दिशा देने का प्रयास किया है जो बेतुके धर्मनिरपेक्षता में फंसी थी। सोनिया गांधी प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी की उपस्थिति ने जयपुर में 2024 के आम चुनावों के लिए मार्ग दिखाया है।’
सामना में संजय राउत ने आगे लिखा, ‘हालांकि, ये देश सभी धर्म के लोगों का है, पर कोई भी बहुसंख्यक को अनदेखा कर राजनीति में आगे नहीं बढ़ सकता है। इस मुद्दे पर मेरी राहुल गांधी के साथ कई बार चर्चा हुई है । जयपुर में उनके भाषण का अर्थ है कांग्रेस की आत्मा हिन्दू थी।’
संजय राउत ने लिखा कि ‘राहुल गांधी ने अपने भाषण से स्पष्ट किया है कि महात्मा गांधी से लेकर मदन मोहन मालवीय और लोकमान्य तिलक तक की आत्मा हिन्दू थी। जबकि गोडसे की हिंदुत्ववादी। हिन्दू सत्य है तो हिन्दुत्व शक्ति है। इस अंतर को सही तरीके राहुल गांधी ने रेखांकित किया है।’
सामना में भाजपा पर हमला करते हुए राउत ने लिखा, ‘वर्तमान की दिल्ली सरकार हिन्दू संस्कृति से मेल नहीं खाती। उद्धव ठाकरे ने जो कहा था कि ये पार्टी नकली हिन्दुत्व से भरी है, सही कहा था।’
शिवसेना के मुखपत्र को पढ़कर ये कहना गलत नहीं होगा कि इस पार्टी को कांग्रेस का हिन्दू और हिन्दुत्व को लेकर जो विचार हैं वो भा रहे हैं।
इससे पहले पहले संजय राउत ने 2024 के आम चुनावों के लिए मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस पार्टी की वकालत की थी। इससे पहले भी कई अवसरों पर शिवसेना कांग्रेस पार्टी का पक्ष लेते हुए दिखाई दी है। ऐसा लगता है कि शिवसेना ने 2024 के आम चुनावों के लिए अभी से कांग्रेस की राह पर चलने का निर्णय कर लिया है।