दरअसल कुछ दिन पहले सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महना को पत्र लिखकर मांग की थी कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के संरक्षक शिवपाल सिंह यादव को विपक्ष की अगली सीट दिया जाए। शिवपाल यादव चाहते हैं कि विधानसभा में उनको बैठने के लिये पहली पंक्ति में जगह मिले। समाजवादी पार्टी ने भी उनकी मांग का समर्थन करते हुए विधानसभा अध्यक्ष से यह मांग मानने का आग्रह किया है।
19 सितंबर से शुरू हो रहा है मानसून सत्र
विधानमंडल का मानसून सत्र 19 सितंबर से शुरू हो रहा है। मानसून सत्र शुरू होने से पहले ही अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव के लिए पंक्ति में आगे की सीट मांगकर राजनीतिक गलियाओं में सियासी गरमी तेज कर दी है ।
विधानमंडल का मानसून सत्र 19 सितंबर से शुरू हो रहा है। मानसून सत्र शुरू होने से पहले ही अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव के लिए पंक्ति में आगे की सीट मांगकर राजनीतिक गलियाओं में सियासी गरमी तेज कर दी है ।
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सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने इसकी पुष्टि करते हुए मंगलवार को बताया पत्र लिखने का कारण है कि शिवपाल यादव सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से हैं, इसलिए सम्मान स्वरूप उन्हें आगे की बेंच पर बैठाया जाना चाहिए। सियासी तल्ख़ियां मिटाने की कोशिश
विधानसभा चुनाव के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश और प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव के बीच सियासी तल्खियां तेज हो गई थी। दोनों नेताओं के बीच कुछ अच्छा नहीं चल रहा था एक दूसरे के पूरक दिखाई दे रहे थे। सियासी पंडितों को कहना है कि अखिलेश यादव ने विधानसभा अध्यक्ष को मे पत्र लिखकर शिवपाल सिंह का समर्थन किया और आगे की कुर्सी मांगी है। अखिलेश दोनों के बीच हो रही टकराव को मिटाना चाहते हैं।
हांलाकि सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि कोई सियासी मानें ना निकाले जाए। शिवपाल सिंह वरिष्ठ नेता है इसलिए उन्हें सदन में आगे की सीट मिलनी चाहिए। वहीं जब बिधानसभा अध्यक्ष कार्यालय संपर्क किया गया तो पता चला कि अभी तक कोई ऐसा पत्र प्राप्त होने की पुष्टि नहीं की है।
विधानसभा चुनाव के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश और प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव के बीच सियासी तल्खियां तेज हो गई थी। दोनों नेताओं के बीच कुछ अच्छा नहीं चल रहा था एक दूसरे के पूरक दिखाई दे रहे थे। सियासी पंडितों को कहना है कि अखिलेश यादव ने विधानसभा अध्यक्ष को मे पत्र लिखकर शिवपाल सिंह का समर्थन किया और आगे की कुर्सी मांगी है। अखिलेश दोनों के बीच हो रही टकराव को मिटाना चाहते हैं।
हांलाकि सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि कोई सियासी मानें ना निकाले जाए। शिवपाल सिंह वरिष्ठ नेता है इसलिए उन्हें सदन में आगे की सीट मिलनी चाहिए। वहीं जब बिधानसभा अध्यक्ष कार्यालय संपर्क किया गया तो पता चला कि अभी तक कोई ऐसा पत्र प्राप्त होने की पुष्टि नहीं की है।
गौरतलब है कि शिवपाल यादव ने अपने भतीजे सपा प्रमुख अखिलेश यादव से तल्ख़ियां बढ़ने के बाद अगस्त 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का गठन किया था। मगर इस साल के शुरू में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पार्टी के बजाय सपा के टिकट पर जसवंत नगर सीट से चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई थी।
राष्ट्रपति चुनाव में शिवपाल सिंह यादव ने एनडीए का समर्थन किया
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने बाद जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने सभी विधायकों को पत्र लिखकर पार्टी कार्यालय में बुलाया था तब उस समय शिवपाल सिंह यादव को नहीं बुलाया था । तभी से दोनों नेताओं के बीच तल्खियां देखने को मिले। इसके बाद राष्ट्रपति चुनाव में शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश के साथ ना जा करके एनडीए उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू का समर्थन किया था।
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने बाद जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने सभी विधायकों को पत्र लिखकर पार्टी कार्यालय में बुलाया था तब उस समय शिवपाल सिंह यादव को नहीं बुलाया था । तभी से दोनों नेताओं के बीच तल्खियां देखने को मिले। इसके बाद राष्ट्रपति चुनाव में शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश के साथ ना जा करके एनडीए उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू का समर्थन किया था।
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