शिवसेना ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी भाजपा के लिए काम करते हैं। बीजेपी की सफलता के पीछे ओवैसी की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसी कारण राज्य में जाति और धार्मिक दुश्मनी फैलाई जा रही है।
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अपने मुखपत्र सामना में पार्टी ने लिखा कि दो दिन पूर्व प्रयागराज से लखनऊ जाते समय ओवैसी के समर्थकों ने जमा होकर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए जबकि यूपी में लंबे समय से ऐसा नहीं हुआ है। परन्तु अब जब विधानसभा चुनाव निकट आ रहे हैं तो यहां पर आकर ओवैसी भड़काऊ भाषण दे रहे हैं, उनके समर्थक ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाते हैं। शिवसेना ने कहा कि एआईएमआईएम चीफ ने पहले भी बिहार और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में साम्प्रदायिकता फैलाने की कोशिश की। यदि ऐसा नहीं किया होता तो बिहार में तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री होते। शिवसेना ने पश्चिम बंगाल के मतदाताओं की तारीफ करते हुए कहा कि राज्य में ममता बनर्जी को हराने के लिए ओवैसी ने मुसलमानों को भड़काने का हरसंभव प्रयास किया परन्तु वहां की जनता ने खुलकर ममता बनर्जी के लिए वोटिंग की और ओवैसी का खेल बिगाड़ते हुए टीएमसी की सरकार बना दी।
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सामना में छपे संपादकीय में कहा गया कि ओवैसी जैसे नेताओं को पहले भी कई बार तैयार किया गया और वक्त बीतने के साथ ही उन्हें खत्म भी कर दिया गया। आज देश का मुस्लिम समुदाय समझदार हो गया और वे अपना हित-अनहित अच्छे से समझने लगे हैं। शिवसेना ने लिखा कि मुसलमान इस देश के नागरिक हैं और उन्हें संविधान के दायरे में रहते हुए ही आगे बढ़ना चाहिए। राष्ट्रनेता बनने के लिए ओवैसी में यह कहने की हिम्मत होनी चाहिए अन्यथा उन्हें भारतीय जनता पार्टी के अंतरवस्त्र के रूप में ही देखा जाएगाी।
ओवैसी की तारीफ करते हुए सामना ने लिखा कि ओवैसी राष्ट्रभक्त ही है, जिन्ना की तरह उच्च शिक्षित और कानून के जानकार हैं परन्तु वह भी जिन्ना की ही तरह ब्रिटिशों की तोड़-फोड़ की राजनीति कर रहे हैं। ओवैसी को भाजपा से अलग हटकर चलना होगा ताकि वह पूरे देश में राष्ट्रीय नेता के रूप में अपनी प्रतिष्ठा बना सकें।