महाराष्ट्रः महागठबंधन के नेता चुने गए उद्धव ठाकरे, 1 दिसंबर को शपथ ग्रहण समारोह उद्धव के पिता दिवगंत बाला साहेब ठाकरे द्वारा वर्ष 1966 में स्थापित क्षेत्रीय पार्टी शिवसेना पहली बार कांग्रेस और राकांपा से एक साथ हाथ मिला रही है।
अब मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे को छह महीने के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का चुनाव लड़कर जीतना होगा। उद्धव ने आज तक कभी चुनाव नहीं लड़ा है और वह दोनों में से किसी सदन के सदस्य नहीं हैं।
उनके बेटे आदित्य ठाकरे, ठाकरे परिवार के पहले ऐसे सदस्य हैं, जिन्होंने पहली बार पिछले महीने वर्ली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीता था। उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे पार्टी की युवा शाखा युवासेना के अध्यक्ष हैं।
अभी-अभीः महाराष्ट्र मामले पर पीएम मोदी नाराज… आपात बैठक में शाह-नड्डा को बुलाया और दिया यह फॉर्मूला… फिर.. राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस-राकांपा ने संयुक्त रूप से 288 सीटों वाली विधानसभा में 98 सीटें जीती थीं।
27 जुलाई 1960 को जन्में उद्धव ने वर्ष 2012 में अपने पिता के निधन के बाद पार्टी की कमान संभाली थी। शिवसेना के मुखपत्र सामना का कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की।
1999 में महाराष्ट्र में शिवसेना के मुख्यमंत्री नारायण राणे की कार्यशैली और प्रशासनिक योग्यता की उन्होंने खुले तौर पर आलोचना की। इसके बाद हुए विवाद में राणे को इस्तीफा देना पड़ा। बाद में राणे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
BIG BREAKING: फडणवीस के इस्तीफे पर NCP के दिग्गज नेता ने कही सबसे बड़ी बात… शिवसेना हो गई बर्बाद. उद्धव के नेतृत्व में शिवसेना को 2002 में बृहन्मुंबई महानगर पालिका चुनावों में भारी मतों से जीत मिली थी। वर्ष 2003 में उन्हें पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उद्धव और उनके चचरे भाई राज ठाकरे के बीच 2006 में मतभेद के बाद राज ने अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया।