शिवसेना के कार्यकारी संपादक के सवालों का जवाब देने के साथ ही मराठा क्षत्रप और एनसीपी चीफ शरद पवार पहले गैर-शिवसेना नेता बन गए हैं, जिनका इंटरव्यू सामना में प्रकाशित हुआ है। लोकतंत्र रिमोट से संचालित नहीं होता
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने साक्षात्कार के दौरान लॉकडाउन ( Lockdown ) और महाविकास अघाड़ी ( MVA ) की तीनों पार्टियों के आपसी रिश्तों पर भी बात की। सामना के पहले साक्षात्कार में उन्होंने साफ कर दिया कि वह प्रदेश की सरकार के लिए रिमोट कंट्रोल ( Remote Control ) नहीं हैं।
Coronavirus : केवल जरूरी मामलों में हो टेस्टिंग, आंख मूंदकर इस्तेमाल से बचें – ICMR महाराष्ट्र महाविकास अघाडी सरकार में अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा कि कहा कि वह न तो हेडमास्टर हैं और न ही रिमोट कंट्रोल। हेडमास्टर को किसी स्कूल में होना चाहिए जबकि प्रजातंत्र ( Democracy ) में सरकार या प्रशासन को कभी भी रिमोट कंट्रोल से संचालित नहीं किया जा सकता। रिमोट कंट्रोल वहां काम करता है, जहां प्रजातंत्र नहीं है। जैसे रूस, जहां व्लादिमिर पुतिन 2036 तक राष्ट्रपति रहेंगे।
जनता को कभी भी हल्के में न लें राजनेता महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ( Former CM Devendra Fadanvis ) पर तंज कसते हुए कहा कि राजनेताओं को कभी भी जनता को हल्के में नहीं लेना चाहिए। इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं को भी एक वक्त में हार का मुंह देखना पड़ा था। सामना के पहले साक्षात्कार में शरद पवार ने भारतीय जनता पार्टी के नेता व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को निशाने पर लिया। उन्होंने केंद्र सरकार पर भी महाराष्ट्र सरकार ( Maharashtra Government ) का सहयोग न करने के आरोप लगाए।
Rajasthan Political Drama : संकट में कांग्रेस सरकार, बागी विधायकों ने बढ़ाई अशोक गहलोत की धड़कन उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले देवेंद्र सत्ता में लौटने का दावा करते रहे। जनता ने उनके बयानों को ‘एरोगेंस’ के रूप में लिया और सबक सिखाने काम किया। पवार ने कहा कि बीजेपी नीत सरकार ने हमेशा अपने साझीदार शिवसेना ( Shiv Sena ) को हाशिये पर रखा।
पवार ने दावा किया कि बीजेपी को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 105 सीटें, शिवसेना की वजह से मिलीं। अगर सेना न होती तो बीजेपी को केवल 40-50 सीटों पर ही जीत मिलती।