राजनीति

चुनावी नतीजों में शंकर सिंह वाघेला की हुई फजीहत, वोट प्रतिशत में सबसे आखिरी नंबर पर है पार्टी

शंकर सिंह वाघेला ने इसी साल बीजेपी को अलविदा कहा था। वहीं 1995 में वाघेला ने 55 विधायकों के साथ बीजेपी ज्वॉइन की थी।

Dec 18, 2017 / 11:07 am

Kapil Tiwari

shankar singh vaghela

अहमदाबाद: गुजरात में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों का नेतृत्व कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला इस बार अकेले ही चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन इस चुनाव ने उनकी फजीहत करा दी है। चुनाव से पहले कई कयास लगाए जा रहे थे कि शंकर सिंह वाघेला गुजरात में जरूर बीजेपी या कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं, क्योंकि उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ कर अपनी एक अलग पार्टी का गठन किया था। कांग्रेस में रहने से पहले वो बीजेपी में भी रहे थे।
वोट प्रतिशत में वाघेला की पार्टी सबसे आखिरी नंबर पर
शंकर सिंह वाघेला ने ऑल इंडिया हिंदुस्तान कांग्रेस पार्टी के नाम से एक नई पार्टी का गठन किया था। इस बीच शुरूआती रूझानों में वाघेला की पार्टी का कोई भी उम्मीदवार फाइट करता नहीं दिख रहा है। आलम ये है कि अभी तक के वोट शेयर प्रतिशत में वाघेला की पार्टी को सबसे कम वोट शेयर मिला है। AINHCP का सिर्फ 0.3 फीसदी वोट शेयर मिला है। वाघेला की पार्टी के उम्मीदवारों को 28303 वोट मिले हैं। जबकि 49.2 प्रतिशत वोट शेयर के साथ बीजेपी सबसे आगे है और 41.4 वोट प्रतिशत के साथ कांग्रेस पार्टी दूसरे नंबर पर है। उधर शंकर सिंह वाघेला की पार्टी का कोई भी कैंडिडेट मुकाबले में ही नहीं है। पार्टी अब तक के वोट प्रतिशत में भाजपा, कांग्रेस, निर्दलीय, एनसीपी, बीएसपी और भारतीय ट्राइबल पार्टी से भी पीछे है।
राजनीति का है 40 साल का अनुभव
आपको बता दें कि चुनावों से पहले शंकर सिंह वाघेला की दावेदारी काफी मजबूत दिखाई दे रही थी, क्योंकी उन्हें गुजरात की राजनीति में पीएम मोदी का भी गुरु माना जाता है। गुजरात की राजनीतिक का उन्हें 40 साल का अनुभव है। शंकर सिंह वाघेला कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों को प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। वो ही एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो कांग्रेस और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।
1995 में 55 विधायकों के साथ छोड़ी थी बीजेपी

साल 1995 में बीजेपी की बढ़ी जीत के बाद मुख्यमंत्री न बनाए जाने की वजह से नाराज हुए शंकर सिंह वाघेला ने 55 विधायकों के साथ पार्टी से बगावत कर ली थी और एक साल के बाद ही वो कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे। कांग्रेस के साथ भी उनके रूठने-मनाने का दौर चलता रहा और इसी साल उन्होंने अपने जन्मदिन के मौके पर घोषणा कर दी कि उन्हें कांग्रेस पार्टी ने निकाल दिया है।

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