राजनीति

Ram Vilas Paswan : राष्ट्रीय राजनीति के कद्दावर नेता, हमेशा गरीब और दलितों के लिए करते रहे संघर्ष

 

राम विलास पासवान 4 दशक से ज्यादा समय तक राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख नेता बने रहे।
सियासी करिअर में गरीब और दलित चेतना और उनके उत्थान के आवाज बने।
सियासी अनुभव और अपने फैसलों की वजह से राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक कहलाए।

Oct 09, 2020 / 09:54 am

Dhirendra

राम विलास पासवान 4 दशक से ज्यादा समय तक राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख नेता बने रहे।

नई दिल्ली। देश के दबे-कुचले लोगों की आवाज और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ( Ram Vilas Paswan ) का गुरुवार देर शाम निधन हो गया। राम विलास पासवान सियासी जीवन के शुरुआत से लेकर अंत तक राष्ट्रीय राजनीति में हमेशा चर्चा में बने रहे। 9 बार सांसद बने और 6 प्रधानमंत्रियों के साथ उन्होंने काम किया। देश की सियासी नब्ज पर मजबूत पकड़ की वजह से वह मौसम वैज्ञानिक भी कहलाए।
दलित नेता रामविलास पासवान ने सियासी सफर की शुरुआत 70 के दशक में की। उनके साथ लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने भी सियासी सफर की शुरुआत की थी। 1969 में पहली बार अलौली सीट से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद पासवान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। न ही राष्ट्रीय राजनीति में खुद को अप्रसांगिक होने दिया।
1977 की जीत ने राष्ट्रीय नेता बना दिया

इमरजेंसी के बाद 1977 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले पासवान 9 बार लोकसभा सांसद रहे। इस चुनाव के बाद पहली बार सारे देश के लोगों ने उनका नाम सुना। वजह ये थी कि बिहार की हाजीपुर सीट पर किसी नेता ने इतने ज़्यादा अंतर से चुनाव जीता कि उसका नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल हो गया। 1977 की जीत ने रामविलास पासवान को राष्ट्रीय नेता बना दिया। उसके बाद 4 से भी ज़्यादा दशकों तक वो राष्ट्रीय राजनीति में अहम किरदार निभाते रहे।
1977 में रामविलास पासवान ने जनता पार्टी के टिकट पर हाजीपुर की सीट से कांग्रेस उम्मीदवार को सवा चार लाख से ज्यादा मतों से हराकर पहली बार लोकसभा में पैर रखा था।

6 प्रधानमंत्रियों के साथ किया काम
अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में उन्हें केवल 1984 और 2009 में हार का मुंह देखना पड़ा। 1989 के बाद से नरसिम्हा राव और यूपीए टू की सरकार को छोड़ वह हर प्रधानमंत्री की सरकार में मंत्री रहे। राम विलास पासवान ने 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया। इनमें विश्वनाथ प्रताप सिंह, एचडी देवगौड़ा, आईके गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी का नाम शामिल है।
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लालू ने पासवान को बनाया मौसम वैज्ञानिक

सरकार में अपनी जगह बना सकने के उनके कौशल पर कटाक्ष करते हुए एक समय में उनके साथी और बाद में राजनीतिक विरोधी व मीडिया वाले खाकर लालू प्रसाद यादव ने उन्हें राजनीति का ‘मौसम वैज्ञानिक’ कहने लगे।
लोक जनशक्ति पार्टी

उन्होंने 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की। एलजेपी का गठन सामाजिक न्याय और दलितों पीड़ितों की आवाज उठाने के मकसद से किया था। बिहार में दलित समुदाय की आबादी तो करीब 17 फीसदी है, लेकिन दुसाध जाति का वोट करीब 5 फीसदी है, जो एलजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है। इस जाति के सर्वमान्य नेता राम विलास पासवान माने गए।
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गरीब और दलित नेता का सियासी सफर

1946 : बिहार के खगड़िया जिले में जन्म।
1969 : संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में बिहार विधानसभा के लिए चुने गए।

1974 : लोकदल के महासचिव बने।

1975 : आपातकाल के दौरान गिरफ्तार हुए और इमरजेंसी लागू रहने तक जेल में रहे।
1977 : जनता पार्टी के सदस्य बने और हाजीपुर से रिकॉर्ड अंतर से लोकसभा का चुनाव जीता।

1983 : दलित सेना की स्थापना की और दलितों की मुक्ति और कल्याण के लिए एक संगठन बनाया।
1989 : हाजीपुर से चुनाव जीतने के बाद वीपी सिंह सरकार में केंद्रीय श्रम और कल्याण मंत्री नियुक्त हुए।

1996 : दोबारा केंद्रीय रेल मंत्री बने।

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2000 : लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की और जनता दल से अलग हो गए।

2002 : नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस से बाहर निकलें।

2004 : यूपीए वन सरकार में शामिल हुए और केंद्रीय रसायन और उर्वरक और इस्पात मंत्री बने। 2005 : बिहार चुनाव में एलजेपी किंगमेकर बनी, लेकिन राष्ट्रपति शासन के महीनों के बाद भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई।
2009 : 33 साल में पहली बार हाजीपुर से चुनाव हारे।

2014 : हाजीपुर से लोकसभा के लिए चुने गए जबकि जमुई से उनके बेटे चिराग जीते। उपभोक्ता मामलों के मंत्री नियुक्त।

2019 : उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री बने और राज्यसभा से निर्वाचित हुए।
2020 : 08 अक्टूबर को दिल्ली के एक अस्पताल में राम विलास पासवान का निधन।

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