नई दिल्ली। राज्यसभा चुनाव ( Rajya Sabha Elections 2020 ) की तारीख तय होते ही कांग्रेस ( Congress ) में हलचल तेज हो गई है। राजस्थान और गुजरात में कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती खुद के विधायकों की क्रॉस वोटिंग ( Cross voting ) रोकने की है। जबकि मध्यप्रदेश में कांग्रेस दलित राजनीति ( Dalit politics ) का नया समीकरण बनाने की जुगत में लगी हुई है। इसको लेकर दिल्ली में रणनीति बनानी शुरू हो गई है।
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राजस्थान में जहां तीन सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। आंकड़ों के लिहाज से कांग्रेस दो सीट आसानी से जीतती दिख रही है, लेकिन भाजपा एक अतिरिक्त उम्मीदवार खड़ा कर कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। इसको लेकर कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उपमुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट व प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे को रणनीति बनाने के लिए कहा है। सूत्रों ने बताया कि आलाकमान ने साफ कर दिया है कि किसी भी सूरत में कांग्रेस के विधायकों की सेंधमारी नहीं होनी चाहिए।
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एमपी में बदला लेने की रणनीति
उधर, मध्यप्रदेश में सरकार गंवाने के बाद कांग्रेस खासी सतर्क है। कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफा देकर भाजपा में जाने से राज्यसभा चुनाव के समीकरण बदल चुके हैं। यहां कांग्रेस तीन में से सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल करने की स्थिति में है। हालांकि कांग्रेस ने सिंधिया प्रकरण का बदला लेने के लिए लॉकडाउन के बीच नई सिरे से रणनीति तैयार की है। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने दलित चेहरे फूलसिंह बौरेया को उम्मीदवार बनाया था। नई रणनीति के तहत भाजपा के दलित विधायकों से बातचीत और उनको कांग्रेस की मदद के लिए प्रभारी महासचिव की जिम्मेदारी अनुभवी मुकुल वासनिक को दी गई। वासनिक के सहयोगी के तौर पर प्रभारी सचिव कुलदीप इंदौरा को बनाया गया। यह दोनों नेता भी दलित वर्ग के हैं। सूत्रों ने बताया कि यह दोनों नेता पिछले कुछ दिनों से भाजपा के कुछ विधायकों से बात भी कर रहे हैं। हालांकि अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली है।
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गुजरात में अमीन बिगाड़ रहे समीकरण
गुजरात में भाजपा ने आखिरी समय में नरहरि अमीन को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ दिए थे। लॉकडाउन से पहले कांग्रेस ने क्रॉस वोटिंग रोकने के लिए अपने विधायकों को जयपुर में कई दिनों तक रखा था। कांग्रेस को एक बार फिर से विधायकों को एकजुट रखने के लिए मशक्ïकत करनी पड़ रही है।