खासतौर से ठाकुर लॉबी और राजनाथ के विरोधी नेताओं के बीच। इससे पहले 2017 में यूपी में योगी सरकार के गठन के समय भी पंकज को कैबिनेट में लेने का विचार किया जा रहा था, लेकिन शपथग्रहण के 11 घंटे पहले ही फैसला बदल दिया गया था।
जेपी नड्डा ने चिराग-नीतीश को दी नसीहत, कहा : एक साथ चुनाव लड़ने में ही है जीत की गारंटी इस मामले में बीजेपी सूत्रों का कहना था कि चूंकि पंकज के पिता राजनाथ सिंह पहले से ही केंद्रीय मंत्री हैं, ऐसे में पंकज को यूपी के मंत्रिमंडल में जगह देना उचित नहीं था। इसलिए पंकज को मंत्रिमंडल में जगह न देकर उन्हें प्रदेश कार्यकारिणी में दूसरा अहम पद देने पर विचार किया गया।
यूपी की राजनीति को करीब से जानते हैं पंकज पंकज सिंह 15 साल से भी ज्यादा समय से बीजेपी से जुड़े हुए हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में पंकज सिंह ने नोएडा विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ा था। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुनील चौधरी को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी।
कहा जाता है कि उन्हें यूपी की राजनीति और यहां की कमियों के बारे में काफी करीब से जानकारी है। यूपी की किस तरह के विकास की जरूरत है और उसके लिए क्या प्लानिंग सही रहेगी, इसके लिए उसके अनुभव को अब संगठन में इस्तेमाल किया जाएगा।
पहली बार कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को इस मकसद से लिखा खत, दूरगामी असर को लेकर सुगबुगाहट तेज जाति और क्षेत्रवाद हावी इस बार लिस्ट में क्षेत्र और जाति को पूरी तरह से महत्व दिया गया है। 41 पदाधिकारियों की लिस्ट में अगड़े वर्ग के 21 पदाधिकारी हैं, इनमें भी सबसे ज्यादा 7 ब्राह्मण, 6 ठाकुर, 5 वैश्य, 2 भूमिहार और एक पंजाबी है। सूची में कुल 12 पिछड़ा वर्ग और 8 दलित वर्ग के पदाधिकारी हैं। बीजेपी की क्षेत्रीय संरचना के मुताबिक पश्चिम से 8, व्रज से 6, कानपुर से 7, अवध से 7, काशी से 7 और गोरखपुर से 5 को जगह दी गई है।
ये हैं कद बढ़ने के मायने दरअसल, बीजेपी में मोदी युग के साथ ही क्षत्रपों को किनारे करने का काम शुरू हो गया था। जब पहली बार नरेंद्र मोदी देश के पीएम बने तो इस बात की चर्चा हुई कि अब मोदी टीम राजनाथ को यूपी से बेदखल कर उनकी जगह किसी और ठाकुर नेताओं को पार्टी में कद बढ़ा सकती है। लेकिन राजनाथ सिंह को 2014 और 2019 दोनों में मंत्रिमंडल अहम मंत्रालय मिला। लेकिन पंकज सिंह को पार्टी के विरोधी नेताओं के दुष्प्रचार की वजह से नुकसान उठाना पड़ा।
हालांकि, बीजेपी नेता पार्टी में मतभेद को खारिज करते रहे हैं लेकिन ये भी तय है कि पंकज को कभी राजनाथ की आड़ में तो कभी ठाकुर लॉबी की वजह से नुकसान उठाना पड़ा। इसका सीधा अर्थ यह है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल राजनाथ और प्रदेश में पंकज अहम ओहदों पर रहेंगे तो उनके सियासी उभार रोकना मुश्किल होगा। इसलिए योगी मंत्रिमंडल में नोएडा के विधायक जगह पाने से चूक गए। अब जाकर उन्हें संगठन में जगह मिली है। तो तय है कि वह इसका सियासी लाभ भी उठाएंगे।
बता दें कि निवर्तमान कार्यकारिणी में विधायक पंकज सिंह महामंत्री थे। पंकज सिंह 2004 में प्रदेश कार्यकारिणी में बतौर सदस्य शामिल होने के बाद 2007 में बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने। 2007 में ही वह प्रदेश कार्यसमिति में शामिल हुए। 2009 में प्रदेश मंत्री बने।