1996 में सांसद बनें
1996 में वे छपरा से भाजपा के टिकट पर सांसद का चुनाव जीते थे। 1999 में दोबारा सांसद बने और अटल सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री रहे। इसके बाद उन्हें ्प्रमोट कर स्वतंत्र प्रभार के साथ नागरिक उड्डयन मंत्री बना दिया गया था।
1996 में वे छपरा से भाजपा के टिकट पर सांसद का चुनाव जीते थे। 1999 में दोबारा सांसद बने और अटल सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री रहे। इसके बाद उन्हें ्प्रमोट कर स्वतंत्र प्रभार के साथ नागरिक उड्डयन मंत्री बना दिया गया था।
चंडीगढ़ में जीतकर बिहार लौटे
रूडी ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र संघ के एक नेता के रूप में की थी। पहले वे गवर्नमेंट कॉलेज, चंडीगढ़ के अध्यक्ष चुने गए और बाद में पंजाब विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव के रूप में निर्वाचित हुए। यूनिवर्सिटी राजनीति के बाद वे बिहार लौटे और दूरदराज के एक ग्रामीण क्षेत्र में एक दशक तक काम किया। इसके बाद भाजपा के सदस्य बने। उनकी शादी हिमाचल प्रदेश की नीलम प्रताप से 1991 में हुई है। जो हाल तक इंडियन एयरलाइंस की एक सहायक कंपनी एलायंस एयर में इनफ्लाइट की प्रमुख के रूप में कार्यरत थीं। उनकी दो बेटियां हैं।
रूडी ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र संघ के एक नेता के रूप में की थी। पहले वे गवर्नमेंट कॉलेज, चंडीगढ़ के अध्यक्ष चुने गए और बाद में पंजाब विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव के रूप में निर्वाचित हुए। यूनिवर्सिटी राजनीति के बाद वे बिहार लौटे और दूरदराज के एक ग्रामीण क्षेत्र में एक दशक तक काम किया। इसके बाद भाजपा के सदस्य बने। उनकी शादी हिमाचल प्रदेश की नीलम प्रताप से 1991 में हुई है। जो हाल तक इंडियन एयरलाइंस की एक सहायक कंपनी एलायंस एयर में इनफ्लाइट की प्रमुख के रूप में कार्यरत थीं। उनकी दो बेटियां हैं।
ये मेरा नहीं है, ये पार्टी का फैसला है मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में राजीव प्रताप रूडी ने कहा है कि मंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला उनका अपना फैसला नहीं था। रूडी ने कहा कि ये मेरा फैसला नहीं है, ये पार्टी का फैसला है, और मैं इसे स्वीकार करता हूं। राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि पार्टी का निर्णय हुआ आप इस्तीफा दें, ये बिल्कुल सामान्य प्रक्रिया है। रूडी ने कहा कि ‘सरकार में काम करने का मौका मिला, आगे भी पार्टी में काम करने का मौका मिले, बस इसी अभियान के साथ चलते हैं। रूडी के मुताबिक वे अपना इस्तीफा मांगे जाने की वजह नहीं जानते हैं लेकिन पार्टी से मिले आदेश का पालन कर उन्हें खुशी है। बता दें कि केन्द्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री रहे संजीव बलियान ने भी अपने इस्तीफे पर दो टूक कहा कि पार्टी द्वारा इस्तीफा देने के लिए कहे जाने पर मैंने एक वाक्य में अपना त्यागपत्र दे दिया।