नई दिल्ली। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ( Former Deputy Chief Minister Sachin Pilot ) और उनके कैंप के विधायकों का वोट सदन में अब भी गहलोत सरकार ( Gehlot Government ) के बिल के पक्ष में पड़ सकता है। ये सरकार के खिलाफ अपना वोट ( Vote Against Government ) तभी देंगे जब उससे सरकार गिरने की नौबत आती हो। वर्ना बगावत का झंडा बुलंद कर रहे ये विधायक पार्टी की व्हिप का पालन करेंगे और अपनी सदस्यता फिलहाल नहीं गवाएंगे।
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पायलट गुट के सूत्रों के मुताबिक वरिष्ठ वकीलों, कानूनी जानकारों, भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और पायलट के बीच चर्चा के बाद नई रणनीति तय हुई है। इसमें पार्टी व्हिप के खिलाफ वोटिंग विश्वास या अविश्वास प्रस्ताव ( No confidence motion ) पर या फिर मनी बिल पर ही की जाएगी। मनी बिल भी पारित नहीं होने पर सरकार गिर जाती है। ऐसा गहलोत सरकार की रणनीति को मात देने के लिए किया गया है। मुख्यमंत्री खेमे की रणनीति थी कि सत्र के दौरान सरकार के किसी बिल पर वोटिंग के लिए पार्टी का व्हिप जारी किया जाए। बागी खेमा इसका उल्लंघन करे तो स्पीकर उन पर कार्रवाई करे और उनकी विधानसभा की सदस्यता चली जाए। ऐसा करने से विश्वास प्रस्ताव लाए जाने से पहले ही बाकी विधायकों की छुट्टी हो जाएगी और वे सरकार के खिलाफ वोटिंग नहीं कर पाएंगे।
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पायलट कैंप का मानना है कि विश्वास मत के आने तक सभी सदस्यों को अपनी सदस्यता बचाए रखनी है और अपनी सदस्यता विश्वास मत में सरकार को परास्त कर के ही गंवानी है।
14 अगस्त से राज्य में विधानसभा सत्र शुरू हो रहा है। 15 और 16 अगस्त को छुट्टी होगी। माना जा रहा है कि 17 अगस्त को गहलोत सरकार ऐसा कोई बिल ला सकती है, जिसमें पार्टी की ओर से व्हिप जारी किया जाए। पायलट सहित बागी खेमे में कांग्रेस के 19 विधायक हैं।