वहीं बर्न्स ने कहा, हमारे देशों के सामने कोई चुनौती है, तो चीन-रूस जैसे देश हैं। हम लड़ाई नहीं चाहते हैं लेकिन अपनी सुरक्षा करना हमारा फर्ज है। बर्न्स ने कहा अमरीका और भारत को एक दूसरे के लिए दरवाजों को और अधिक खोलना चाहिए। लोगों की आवाजाही के प्रतिबंधो को कम करने की जरूरत है।
मानसून को लेकर मौसम विबाग ने जारी किया अलर्ट, देश के कई इलाकों में कुछ घंटों में होगी झमाझम बारिश बर्न्स ने कहा कि जब हम मनमोहन सिंह के साथ काम कर रहे थे, तब हमारे देशों के बीच ट्रेड, मिलिट्री पर काम होता था। साथ ही हम बड़े विचार पर भी काम कर रहे थे, लेकिन अब वक्त है कि दोनों देशों को एक साथ आना होगा और लोगों को आजादी देनी होगी। हम चीन से लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन एक विचारों की जंग जरूर हो रही है।
राहुल ने कहा, भारत और अमरीका दोनों ही सहिष्णु देश हैं। नए आइडिया को समझते हैं और किसी भी विचार की इज्जत करते हैं। लेकिन आज दोनों देशों में दिक्कत हो रही है। बर्न्स ने कहा, आज अमरीका के लगभग हर शहर में इस तरह का प्रदर्शन हो रहा है, जो लोकतंत्र के लिए मायने रखता है अगर हमें चीन जैसे देश को देखते हैं, तो हम काफी बेहतर हैं। भारत में भी यही है वहां भी लोकतंत्र है और लंबे संघर्ष के बाद आजादी मिली है। हमें उम्मीद है कि अमरीका का लोकतंत्र फिर मजबूत होगा।
इसरो पर भी पड़ा कोरोना का साया, 2020 में लॉन्च होने वाले कई प्रोजेक्ट अटके मुझे लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप सोचते हैं कि वो सबकुछ ठीक कर सकते हैं। लेकिन हमारे यहां सेना के लोगों ने ही कह दिया है कि हम सेना सड़क पर नहीं उतारेंगे, हम संविधान के हिसाब से चलेंगे राष्ट्रपति के हिसाब से नहीं। अमेरिकी लोगों को प्रदर्शन करने का हक है, लेकिन सत्ता में बैठे लोग लोकतंत्र को चुनौती दे रहे हैं। चीन और रूस जैसे देशों में अभी भी अधिनायकवाद हो रहा है।
पहले की तरह सहिष्णुता राहुल ने कहा, हम खुले विचारों वाले हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वो अब गायब हो रहा है। यह काफी दुःखद है कि मैं उस स्तर की सहिष्णुता को नहीं देखता, जो मैं पहले देखता था। ये दोनों ही देशों में नहीं दिख रही।
बर्न्स ने कहा, स्वयं ही खुद को सही करने का भाव हमारे डीएनए में है। लोकतंत्र के रूप में, हम इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में मतपेटी के जरिए हल करते हैं। हम हिंसा की ओर नहीं मुड़ते। वह भारतीय परंपरा ही है, जिसके कारण हम आपकी स्थापना के समय से ही भारत से प्यार करते हैं। 1930 के दशक के विरोध आंदोलन, नमक सत्याग्रह से 1947-48 तक।