पुडुचेरी के मुख्यमंत्री नारायणसामी ने समर्थक विधायकों के साथ विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। पुडुचेरी विधानसभा में कांग्रेस अपना बहुमत साबित नहीं कर पाई है. स्पीकर ने ऐलान किया कि सरकार के पास बहुमत नहीं है. इसके बाद मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने उपराज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
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विधानसभा में कांग्रेस के पास उसके 9 विधायकों के अलावा 2 डीएमके और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन है। इनमें विधानसभा अध्यक्ष एसपी शिवकोलुंदी भी शामिल हैं। जबकि विधानसभा की वर्तमान स्थिति के मुताबिक उसे बहुमत के लिए 14 विधायकों का समर्थन चाहिए।
विधानसभा में कांग्रेस के पास उसके 9 विधायकों के अलावा 2 डीएमके और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन है। इनमें विधानसभा अध्यक्ष एसपी शिवकोलुंदी भी शामिल हैं। जबकि विधानसभा की वर्तमान स्थिति के मुताबिक उसे बहुमत के लिए 14 विधायकों का समर्थन चाहिए।
आपको यह भी बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने अपने एक विधायक को पिछले साल बाहर का रास्ता दिखा दिया था। 33 सदस्यीय विधानसभा में 30 निर्वाचित सीटें हैं और तीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नॉमिनेटेड सदस्य हैं।
हालांकि, फ्लोर टेस्ट से पहले मुख्यमंत्री नारायणसामी दावा करते रहे कि उनके पास निर्वाचित विधायकों में से बहुमत है, लेकिन वो साबित नहीं कर पाए। नारायणसामी ने बेदी और मोदी पर साधा निशाना
विधानसभा में सीएम वी. नारायणसामी ने कहा, हमने द्रमुक और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई और सभी उपचुनाव जीते। इससे साफ है कि पुडुचेरी के लोग हम पर भरोसा करते हैं।
विधानसभा में सीएम वी. नारायणसामी ने कहा, हमने द्रमुक और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई और सभी उपचुनाव जीते। इससे साफ है कि पुडुचेरी के लोग हम पर भरोसा करते हैं।
लेकिन पूर्व एलजी किरण बेदी और केंद्र की मोदी सरकार ने विपक्ष के साथ टकराव किया और सरकार को गिराने की कोशिश की। जैसे ही हमारे विधायक एकजुट हुए, हम अंतिम 5 वर्ष निकालने में सफल रहे।
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हिंदी को लेकर भी बोला हमला
विधानसभा में उन्होंने कहा तमिलनाडु और पुडुचेरी में हम दो भाषा प्रणाली का पालन करते हैं लेकिन बीजेपी हिंदी को लागू करने के लिए जबरन कोशिश कर रही है।
विधानसभा में उन्होंने कहा तमिलनाडु और पुडुचेरी में हम दो भाषा प्रणाली का पालन करते हैं लेकिन बीजेपी हिंदी को लागू करने के लिए जबरन कोशिश कर रही है।
नारायणसामी ने कहा विधायकों को पार्टी के प्रति वफादार रहना चाहिए। इस्तीफा देने वाले विधायक लोगों का सामना नहीं कर पाएंगे क्योंकि लोग उन्हें अवसरवादी कहेंगे।