दरअसल, यूपी को लेकर होने वाली इस अहम बैठक में पहले सिंधिया राहुल के घर पहुंचे। इसके बाद प्रियंका की गाड़ियों का काफिला था। यहां चौंकाने वाली बात ये रही कि प्रियंका अपनी गाड़ी में मौजूद नहीं थीं। जानकारी करने पर पता चला कि वह झुग्गियों से होकर पिछले दरवाजे से बैठक में शामिल हो गई। हालांकि पहले पहल तो ऐसा लगा कि ऐसा कर वह मीडिया से बचाना चाहती हैं। लेकिन बाद में झुग्गी वालों से बात करने पर पता चला कि उसी दिन ही नहीं, बल्कि प्रियंका पिछले 3 सालों से महीने में एक बार इसी रास्ते से आती हैं। प्रियंका यहां झुग्गी में रहने वाले आशीष नाम के एक बच्चे से मिलती हैं। बैठक के दिन मंगलवार को वह आशीष से ही मिलकर आईं थीं।
दरअसल, आशीष विकलांग हैं। पैदा होने के कुछ दिन बाज ही उसको लकवा मार गया था। छोटा—मोटा काम करने वाले उसके पिता सुभाष यादव ने उसका इलाज भी कराया, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते उनकी क्षमता जवाब दे गई। सुभाष के अनुसार प्रियंका ने आशीष को एक संस्था से जोड़ा है। यहां उसकी पढ़ाई-लिखाई आराम से हो रही है। इसके साथ ही प्रियंका जब भी आती हैं तो आशीष के लिए स्लेट, कपड़े जैसे उपहार लाती हैं। वहीं, आशीष की बहन ने बताया कि प्रियंका ने उसके भाई को कई डॉक्टरों को भी दिखवाया। यही नहीं प्रियंका के कहने पर कई डॉक्टर झुग्गियों में आशीष को भी देखने आए। अब प्रियंका गांधी ने आशीष को विकलांगों वाली कार दिलाने की बात कही है। आशीष के घरवालों ने बताया कि मंगलवार के दिन जब प्रियंका आशीष से मिलने पहुंची तो अधिक समय नहीं दे पाई। प्रियंका ने आशीष से कहा कि आज उसकी राहुल के साथ कोई बैठक है। इसलिए उसको जल्दी निकलना पड़ रहा है। इस दौरान प्रियंका ने आशीष को दोस्त कहते हुए जल्दी मिलने का वादा किया।