एक नजर पहले इस महिला उम्मीदवार पर महाराष्ट्र में एक लोकसभा सीट है बीड, जहां से पूर्व केन्द्रीय मंत्री और दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे (Gopinath Munde) चुनाव जीते थे। लेकिन, सड़क हादसे में देश की राजधानी दिल्ली में उनकी मौत हो गई। गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद उनकी मझली बेटी प्रीतम मुंडे (Pritam Munde) को भाजपा ने उपचुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित किया। उपचुनाव में मुंडे को इतने वोट मिले और इतने बड़े अंतर से उन्होंने जीत हासिल की आज तक किसी को ऐसी जीत नहीं मिली थी।
एक नजर प्रीतम मुंडे के रिकॉर्ड पर
नाम | पार्टी | सीट | वोट | जीत का अंतर |
प्रीतम मुंडे | भाजपा | बीड, महाराष्ट्र | 9,22,416 | 6,96,321 |
अशोक शंकर राव पाटिल | कांग्रेस | बीड, महाराष्ट्र | 2,26,095 | हार |
ये आंकड़े 2014 लोकसभा के हैं।
अब एक नजर पीएम मोदी के आकंड़ों पर
नाम | पार्टी | सीट | वोट | जीत का अंतर |
नरेन्द्र मोदी | भाजपा | वडोदरा, गुजरात | 8,45,464 | 5,70, 128 |
मधुसुदन मिस्त्री | कांग्रेस | वडोदरा, गुजरात | 2,75,336 | हार |
नरेंद्र मोदी | भाजपा | वाराणसी, उत्तर प्रदेश | 5,81,022 | 3,71,784 |
अरविंद केजरीवाल | AAP | वाराणसी, उत्तर प्रदेश | 2,09,238 | हार |
नाम | पार्टी | सीट | वोट | जीत का अंतर |
राहुल गांधी | कांग्रेस | अमेठी | 408,651 | 1,07,000 |
स्मृति ईरानी | भाजपा | अमेठी | 300,74 | हार |
यह आकंडे 2014 लोकसभा चुनाव के हैं।
इस जीत से प्रीतम मुंडे का कद इतना बढ़ गया कि पार्टी ने एक बार फिर उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
इस सीट की एक और दिलचस्प कहानी 1952 में बीड लोकसभा सीट का पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ। पहली बार यहां पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट को जीत मिली। अगले दो चुनावों में कांग्रेस को सफलता मिली। 1967 में यहां से सीपीआई जीती। वहीं,1971 में कांग्रेस, 1967 में सीपीआई (एम), 1980 में कांग्रेस (ई), 1984 में कांग्रेस, 1989 में जनता दल, 1991 में फिर कांग्रेस के सांसद बने। 1996 में भाजपा का खाता खुला और रजनी पाटिल इस सीट से सांसद बनीं। इसके बाद 1998 और 1999 में जयसिंह राव पाटिल भाजपा के सांसद बने। 2004 में पाटिल एनसीपी में चले गए और फिर चुनाव जीत गए। इसके बाद दो बार लगातार गोपीनाथ मुंडे यहां से भाजपा के सांसद बने।