सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर को ‘राज्य का दर्जा’ वापस दिए जाने को लेकर चर्चा हो सकती है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा देने की रणनीति पर कई महीने से काम कर रहे थे। हालांकि, अभी आधिकारिक तौर पर बातचीत का एजेंडा सामने नहीं आया है।
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सूत्रों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहुत जल्द दिया जा सकता है। लेकिन विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के संबंध में कोई बातचीत नहीं होगी। बता दें कि, इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ये कह चुके हैं कि समय अनुकुल होने पर जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा।
परिसीमन पर हो सकती है चर्चा
सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी इस सर्वदलीय बैठक में जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर ब्लू प्रिंट पर चर्चा करेंगे। हालांकि, सरकार जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा तब तक वापस नहीं देगी जब तक कि परिसीमन का रिपोर्ट न आए।
सूत्रों के मुताबिक परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर के सभी 20 जिलों के DC को चिट्ठी लिखकर मतदाताओं से जुड़ा आंकड़ा मांगा है। परिसीमन आयोग को जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों को नए सिरे से तय करना है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर के परिसीमन को लेकर पिछले साल की शुरूआत में एक कमीशन बनाया गया था। लद्दाख को लेकर स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा।
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जम्मू को होगा परिसीमन से फायदा
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A हटने से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा की कुल 87 सीट थी। इसमें जम्मू की 37 और कश्मीर की 46 के अलावा लद्दाख की चार सीटें शामिल हैं। केंद्र सरकार के धारा 370 और 35A हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित करने के बाद विधानसभा की कुल संख्या घटकर 83 रह गई।
अब परिसीमन आयोग 2011 की जनगणना के आधार पर विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण कर रहा है। यदि ऐसा होता है तो विधानसभा की सात सीटें बढ़ जाएगी। यानी कुल सीटें 90 हो जाएगी। इसके अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लिए खाली 24 सीटों में से एक तिहाई (8) को भी भरा जाएगा। सबसे खास बात कि इन आठ सीटों पर वही लोग वोट करेंगे तो पीओके से विस्थापित होकर जम्मू में आए हैं। ऐसे में जम्मू की ताकत अपने आप बढ़ जाएगी।
गुपकार गुट चर्चा के लिए तैयार
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इतने कम समय में जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा मिलता है तो यह मोदी सरकार के लिए बड़ी कामयाबी होगी। क्योंकि सरकार के इस फैसले के बाद से उन सभी आशंकाओं और सवालों पर पूर्ण विराम लग जाएगा, जिसको लेकर मोदी सरकार पर आरोप लगाए जाते रहे हैं।
इस बैठक में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, एनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला समेत कई पार्टियों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है। इस बैठक में शामिल होने को लेकर गुपकार गुट तैयार है।