pm modi ने भोपाल में किया था इशारा
समान नागरिक संहिता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को भोपाल में हुई सभा में साफ कर दिया था। उन्होंने कहा था कि एक परिवार में रहने वाले सदस्यों के लिए अलग अलग कानून नहीं हो सकते हैं। ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। ऐसे में एक देश और एक विधान लागू होगा। विपक्षी इस विधान के लिए लोगों को भड़का रहे हैं लेकिन संविधान में सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात कही गई है।
क्या है UCC समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता का सीधा सा मतलब यह है कि कोई भी धर्म हो या फिर कोई भी वर्ग हो। सभी पर एक ही कानून लागू होगा। फिर चाहे वह किसी विवाह का मसला हो या संबंध विच्छेद का। उत्तराधिकार की बात हो या फिर अधिकार की। अभी सभी धर्मों के हिसाब से अलग-अलग कानून हैं। इसी कानून के अनुसार उनका फैसला होता है। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद सभी को एक तरह के ही नियम का पालन करना होगा।
लोकसभा भी आसानी से होगा पास
भाजपा सरकार 9 साल से सत्ता में है। यह विधेयक आसानी से लोकसभा में पास करवा सकती है। लोकसभा में भाजपा के 301 सदस्य हैं। ऐसे में अकेले दम पर ही भाजपा इसे पास करा लेगी। राज्यसभा के लिए भाजपा के पास सदस्य कम हैं। ऐसे में यहां भाजपा को बहुमत जुटाना होगा।
राज्यसभा के लिए यह है गणित
राज्यसभा में इस समय 237 सांसद हैं। यहां बहुमत के लिए 119 वोट की जरूरत होती है। भाजपा के पास 92 सीटें हैं। एडीए में शामिल एआईडीएमके के पास 4 और अन्य सहयोगी पार्टियों के पास एक एक सांसद हैं। इसके अलावा एक निर्दलीय और पांच नामित सदस्यों का समर्थन से यह संख्या 109 पहुंचती है। यह बहुमत के आंकड़े से 10 कम हैं। बीजू जनता दल भी नौ सांसदों का सहयोग कर दे तो यह संख्या 118 पहुंचती है। यहां भी एक की संख्या से बहुमत कम है। वाईएसआर कांग्रेस ने विरोध किया है। ऐसे में संहिता पर सहमत आम आदमी पार्टी अगर 10 सांसदों का समर्थन देती है तो यह विधेयक आसानी से कानून बन जाएगा।
एक गणित यह भी है
समान नागरिक संहित विधेयक को पास कराने के लिए आम आदमी पार्टी की जरूरत भाजपा को नहीं पड़ेगी अगर विधेयक पेश होने से पहले राज्यसभा के चुनाव संपन्न हो जाते हैं। पश्चिम बंगाल के चुनाव में एक सीट भाजपा को मिलना तय है। यह अभी कांग्रेस के पास है। गुजरात और गोवा की चार सीटें भाजपा के पास पहले से हैं। ऐसे में एक और संख्या भाजपा की झोली में आते ही राज्यसभा में भी भाजपा को बहुमत मिल जाएगा और फिर यह विधेयक कानून बन जाएगा।