गुलाम नबी आजाद का भले ही कांग्रेस पार्टी से मोह भंग हो गया हो, लेकिन जब तक वे राजनीति में रहे उनके व्यक्तित्व की खूब सराहना हुई। पार्टी में तो लोग उनका सम्मान करते ही थे, विरोधी दल भी गुलाम नबी आजाद की व्यक्तित्व के कायल थे।
इसका बेहतरीन उदाहरण उस वक्त देखने को मिला जब गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा के कार्यकाल खत्म होने के दौरान विदाई भाषण में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावुक हो गए।
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उस दौरान उनके विदाई भाषण में बोलते हुए पीएम मोदी का गला भर आया था। पीएम मोदी ने रूंधे गले से आजाद संग बिताए पलों को याद किया। आजादी की तारीफ करते हुए एक वक्त तो ऐसा आया कि वे रो ही पड़े।
इसका बेहतरीन उदाहरण उस वक्त देखने को मिला जब गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा के कार्यकाल खत्म होने के दौरान विदाई भाषण में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावुक हो गए।
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पीएम मोदी ने बताया, गुजरात के यात्रियों पर जब आतंकी हमला हुआ, सबसे पहला फोन गुलाम नबी आजाद का आया था। वो फोन सिर्फ सूचना देने का नहीं था, फोन पर गुलाम नबी आजाद के आंसू रुक नहीं रहे थे।
प्रणब मुखर्जी उस समय रक्षा मंत्री थे, तो उनसे फौज के हवाई जहाज की व्यवस्था की मांग की गई। उसी दौरान एयरपोर्ट से ही गुलाम नबी आजाद ने फोन किया।
जैसे अपने परिवार के सदस्य की चिंता की जाती है वैसी ही आजाद जी ने उनकी चिंता की। इतना कहते हुए पीएम मोदी रुक गए और दो बार पास रखे पानी के ग्लास से पानी पिया और अपने रूंधे गले को शांत किया।
पीएम मोदी ने कहा था कि, गुलाम नबी आजाद सिर्फ दल की चिंता नहीं करते बल्कि वे देश की भी सोचते हैं। सदन में उनकी जगह भरना किसी के लिए भी मुश्किल होगा।
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