एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए मरुमलारची द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एमडीएमके) के अध्यक्ष वायको ने कहा हिंदी की वजह से संसद में बहस का स्तर नीचे चला गया है।
लोग हिंदी में चिल्ला रहे हैं: वायको
MDMK नेता ने हिंदी बनाम अन्य भारतीय भाषाओं का विवाद छेड़ते हुए कहा कि मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों में हिंदी भाषा का चुनाव करने की एक खास वजह है।
उन्होंने कहा कि कहीं ना कहीं पीएम ‘हिंदी, हिंदू, हिंदू राष्ट्र’ के नारे से प्रेरित हैं।
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नेहरू पहाड़ तो मोदी सिर्फ अणु: वायको
वायको ने कहा कि हिंदी में संबोधन की वजह से संसद में बहस का स्तर गिर गया है। लोग सिर्फ हिंदी में चिल्लाते हैं।
खुद पीएम मोदी भी हिंदी में ही सदन को संबोधित करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पीएम मोदी के बीच तुलना भी की।
एमडीएमके महासचिव ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू एक महान लोकतंत्रवादी थे, जिन्होंने संसद के सत्र को कभी नहीं छोड़ा।
लेकिन मोदी शायद ही सत्र में भाग लेते हैं। यदि नेहरू एक पहाड़ हैं, तो मोदी केवल एक अणु हैं।
‘संस्कृत एक मृत भाषा’ वायको यही नहीं रुके, न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी में कौन सा साहित्य है? इसकी तो जड़ें ही नहीं हैं। वायको ने कहा कि संस्कृत एक मृत भाषा है। संसद में किसी के हिंदी बोलने पर सदस्य हेडफ़ोन लगा लेते हैं। कोई नहीं समझ पाता इसको।