रविवार को सर्वदलीय बैठक को बुलाने का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सोमवार से शुरू होने वाले संसद सत्र की कार्यवाही सुचारू रूप से चले। बैठक में पीएम
नरेंद्र मोदी ने सभी दलों से महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने के लिए सहयोग मांगा। संसद में 17वीं लोकसभा का प्रथम सत्र 17 जून से 26 जुलाई तक चलेगा।
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी और कई मंत्रियों ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और गुलाम नबी आजाद (कांग्रेस) सहित विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर संसद के सुचारु संचालन में उनका सहयोग मांगा। दरअसल सर्वदलीय बैठक के जरिये सरकार ये चाहती है कि जो विधेयक पारित कराने के लिए लंबित पड़े हैं उसका रास्ता साफ हो सके। इसके लिए ये संसद सत्र काफी महत्वपूर्ण हैं।
19 जून राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक सर्वदलीय बैठक खत्म होने के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा है पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुलाई गई इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
वहीं, 19 जून को पीएम मोदी ने सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्ष जो संसद में पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं उनकी बैठक बुलाई है। इस बैठक में एक देश-एक चुनाव और महात्मा गांधी की 150वीं जयंती जैसी प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी।
ये नेता हुए शामिल
संसद भवन में आयोजित सर्वदलीय बैठक में तमाम दलों के नेताओं ने शिरकत की। इनमें पीएम मोदी के साथ राजनाथ सिंह जबकि कांग्रेस से गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा प्रमुख रूप से शामिल रहे। इसके अलावा अधिरंजन चौधरी, रामगोपाल यादव, डी राजा, टीआर बालू, थावरचंद गहलोत, सुदीप बंदोपाध्याय, राम मोहन नायडू, एनके प्रेमचंद्रन, के सुरेश, अर्जुन राम मेघवाल, वी मुरलीधरन और प्रहलाद जोशी ने भी बैठक में हिस्सा लिया।
इन 6 नेताओं ने तोड़ी पार्टी लाइन सर्वदलीय बैठक में शामिल होने वाले नेताओं में 6 ऐसे नेता रहे जिन्होंने पार्टी लाइन तोड़कर बैठक में हिस्सा लिया। इनमें तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन, वायएसआरसीपी नेता वी विजयसाई रेड्डी, नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारूक अब्दुल्ला, रांकपा से सुप्रिया सुले, अपना दल से अनुप्रिया पटेल, आप से संजय सिंह और टीडीपी से जयदेव गल्ला ने हिस्सा लिया।
महत्वपूर्ण तिथियां
संसद सत्र की शुरुआत 17 जून
संसद सत्र का समापन 26 जुलाई
आर्थिक सर्वेक्षण 04 जुलाई
बजट प्रस्तुतिकरण 5 जुलाई गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पास 545 सीटों वाली लोकसभा में 353 सदस्य हैं, लेकिन राज्यसभा में इनका आंकड़ा काफी कम है।
245 राज्यसभा सीटों में
NDA के पास 102 सदस्य हैं। ऐसे में भाजपा को तीन तलाक जैसे विधेयक को पास कराने में मुश्किल आ सकती है।
तीन तलाक पर दलों ने जताया था ऐतराजमुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाता है। यही वजह रही कि इस विधेयक को लेकर पिछली बार भी कई दिलों ने ऐतराज जताया था। मोदी सरकार को विपक्षी दलों की आपत्तियों का सामना करना पड़ा था।