जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ.राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि यह सर्जरी बहुत जटिल होने के साथ चुनौतीपूर्ण थी। इसमें मां के साथ ऑपरेशन कर रहे स्टाफ को भी संक्रमण का खतरा था। दरअसल हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव मरीज के ऑपरेशन के दौरान थोड़ी भी असावधानी स्टाफ को भी गंभीर संक्रमित कर सकती है लिहाजा स्टाफ ने डबल पीपीई किट में प्रसव कराया।
जेपी अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ आभा जैसानी ने बताया कि यह मामला बहुत जटिल था। चूंकि महिला हेपेटाइिटस बी पॉजिटिव थी और उसकी सोनाग्राफी में बच्चेदानी के अंदर और बाहर कई गठानेें दिख रहीं थीं। सबसे बड़ी गठान का आकार १० बाई १० सेंटीमीटर था। इसे एेसे समझ सकते हैं कि गर्भ में चार माह का भू्रण भी लगभग इसी आकार का होता है। ३४ हफ्ते की प्रेग्नेंसी में गर्भस्थ शिशु के लंग्स को सामान्य तरीके से एक्टिव करने के लिए इंजेक्शन दिए। मां के हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव होने के कारण नवजात को इम्युनोग्लोबिन इंजेक्शन दिए गए। अब मां और बेटी दोनों स्वस्थ हैं।