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पार्षद से विधानसभा स्पीकर तक का सफर, जानें नंद किशोर यादव के बारे में कुछ दिलचस्प बातें नीतीश मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं दरअसल, सोमवार को जेडीयू मुखिया नीतीश कुमार के साथ-साथ 14 लोगों ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें जेडीयू कोटे से पांच, बीजेपी कोटे से सात, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा से एक और वीआईपी कोटे से एक शामिल हैं। मंत्रिमंडल में ब्राह्मण, राजपूत, यादव, दलित वर्ग के लोग शामिल हैं। लेकिन, मुस्लिम समुदाय से मंत्रिमंडल में कोई चेहरा शामिल नहीं है। बिहार में इस तरह का मंत्रिमंडल पहली बार हुआ है। हालांकि, मंत्रिमंडल का विस्तार होना अभी बाकी है। लेकिन, सबसे बड़ी बात ये है कि विधानसभा चुनाव में NDA से एक भी मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव नहीं जीता है। लिहाजा, अगर भविष्य में किसी मुस्लिम चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता है तो वह विधान पार्षद होगा। आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में 15 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। लेकिन, पहली बार मंत्रिमंडल में मुस्लिम समुदाय को नेतृत्व करने वाला कोई नहीं है।
NDA से एक भी मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव नहीं जीते रिपोर्ट के अनुसार, विधानसभा चुनाव में एनडीए को कुल 125 सीटें मिली हैं। 243 सीट में से केवल जेडीयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था। वहीं, बीजेपी, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और वीआईपी ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को चुनावी मैदान में नहीं उतारा। जेडीयू ने जिन 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया, उनमें से कोई भी चुनाव नहीं जीत सका। पिछली सरकार में अल्पसंख्य मंत्री रहे खुर्शीद भी चुनाव हार गए। बात अगर विधान परिषद की हो तो उसमें जेडीयू के पास अच्छी संख्या में मुसलमान एमएलसी हैं। लिहाजा, कयास लगाया जा रहा है कि इनमें से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है। जेडीयू एमएलसी कमर आलम का कहना है कि भले ही कोई मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका। लेकिन, नीतीश कुमार अपने मंत्रिमंडल में मुस्लिम चेहरे को जरूर शामिल करेंगे। अब देखना ये है कि आने वाले समय में किस तरह का निर्णय लिया जाता है।