ठाकरे और कोश्यारी के बीच लेटर वार, हिंदुत्व और धर्मनिरपेक्षता है इसका सार दरअसल इस पूरे मामले की शुरुआत राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नाम लिखी चिठ्ठी से हुई। ठाकरे ने राज्यपाल की चिट्ठी का पलटकर जवाब दिया और अब महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की सहयोगी पार्टी एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने इस मामले पर सीधे पीएम नरेंद्र मोदी को ही पत्र लिख डाला है। इस पत्र में पवार ने राज्यपाल की शिकायत और सीएम का समर्थन किया है।
पवार ने पीएम को लिखे अपने पत्र में बताया कि राज्यपाल का अपना व्यक्तिगत मत हो सकता है। हालांकि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी भाषा में शब्दों के चयन पर ध्यान दे।
पवार ने लिखा, “मैं इस बात से सहमत हूं कि इस मुद्दे पर राज्यपाल अपने स्वतंत्र विचार और राय रख सकते हैं। मैं उनका मत मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की भी सराहना करता हूं, लेकिन राज्यपाल के खत और उसकी भाषा को देखकर हैरान हूं।”
कौन हैं डॉ. बालासाहेब विखे पाटिल, जिनकी आत्मकथा का PM Modi ने किया विमोचन राज्यपाल के पत्र में सेक्युलर शब्द को लेकर शरद पवार ने कहा, “आपने देखा होगा कि किस तरह से असंयमित भाषा इस्तेमाल की गई। दुर्भाग्यवश राज्यपाल का खत किसी राजनीतिक दल के नेता का लग रहा है। मैं इस बात में यकीन रखता हूं कि लोकतंत्र में गवर्नर और सीएम में स्वतंत्र विचारों का आदान-प्रदान जरूरी है। लेकिन इस पत्र की भाषा संवैधानिक पदों की गरिमा के अनुरूप होनी चाहिए।”
पवार ने लिखा कि अब तक उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से इस संबंध में बात नहीं की है। हालांकि उन्होंने लिखा कि वह चाहते हैं कि राज्यपाल की ओर से संवैधानिक पदों के क्षरण किए जाने संबंधी अपना दुख पीएम मोदी और जनता से साझा करें।