इसके बावजूद सुशासन बाबू द्वारा मंजू वर्मा को टिकट देने के मामले को विपक्षी दलों के नेता सीएम के खिलाफ मुद्दा बना सकते हैं। इसका खामियाजा जेडीयू को बिहार चुनाव में उठाना पड़ सकता है। खासकर एलजेपी नेता चिराग पासवान इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठा सकते हैं। इस बात के संकेत वो पहले भी दे चुके हैं।
जमानत पर हैं मंजू वर्मा बता दें कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में नाम आने से पहले तक मंजू वर्मा नीतीश मंत्रिमंडल में सामाजिक न्याय मंत्री थीं। इसके बावजूद जेडीयू ने चेरिया बरियारपुर विधानसभा क्षेत्र से उन्हें प्रत्याशी बनाया है। फिलहाल, मंजू वर्मा जमानत पर बाहर हैं। ताज्जुब की बात तो यह है कि मुजफ्फरपुर कांड में नाम आने के बाद जेडीयू ने उन्हें निलंबित भी कर दिया था।
बालिका गृह कांड में आरोपी मंजू वर्मा को नीतीश कुमार की पार्टी से टिकट मिलना इसलिए भी हैरान करने वाला है क्योंकि वह इस मामले में आरोपी भी हैं। 2018 में उनकी नाक के नीचे बालिका गृह कांड घटित हुआ था। इस कांड के सामने आने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
अवैध हथियार हुआ था बरामद मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड मामले में कथित रूप से मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा के भी शामिल होने की बात सामने आई थी। मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप कांड में करीब 34 बच्चियों के साथ रेप की पुष्टि हुई थी। इसके बाद मंजू वर्मा के पति पर भी आरोपी ब्रजेश ठाकुर के साथ संपर्क रखने और अवैध हथियार मिलने की वजह से गाज गिरी थी।
सूची से गुप्तेश्वर पांडेय आउट एक और चौंकाने वाली बात यह है कि जेडीयू की सूची से बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का नाम गायब है। अब इस बात को लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं। ऐसी संभावना थी कि वीआरएस लेने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय जदयू से टिकट लेकर बक्सर से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन जेडीयू के प्रत्याशियों की सूची में उनका नाम नहीं है। न ही बीजेपी ने कहीं से उन्हें उम्मीदवार बनाया है।
गौरतलब है कि एनडीए में सीट बंटवारे के तहत जेडीयू को 122 सीटें मिली थीं। जेडीयू ने अपने खाते से 7 सीटें जीतन राम मांझी की दी है। इस तरह अब नीतीश कुमार की पार्टी के पास 115 सीटें हैं। सभी सीटों के वो प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर चुके हैं।