राजनीति

सांसदों के वेतन में 30 फीसदी कटौती, Lok Sabha में पारित हुआ विधेयक

लोकसभा ( Lok Sabha ) में संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) विधेयक 2020 पारित किया गया।
अब सांसदों के वेतन ( MPs salary ) में 30 फीसदी की कटौती और एमपीलैड फंड दो साल के लिए निलंबित।
इस धनराशि का इस्तेमाल कोरोना महामारी के चलते पैदा हालात से निपटने के लिए किया जाएगा।

 

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नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को लोकसभा ( Lok Sabha ) ने संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) विधेयक 2020 पारित किया। इस विधेयक में सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीलैड) निधियों को दो साल के लिए निलंबित करने का प्रावधान है। इतना ही नहीं एक वर्ष के लिए सांसदों के वेतन ( MPs salary ) में 30 फीसदी कटौती करने को भी लोकसभा ने मंजूरी दे दी है। इस धनराशि का इस्तेमाल कोरोना वायरस महामारी के चलते पैदा हुए हालात से मुकाबले के लिए किया जाएगा।
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दरअसल बीते अप्रैल में केंद्रीय मंत्रिपरिषद द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 में संसद के सभी सदस्यों के वेतन में 30 फीसदी कटौती और एमपीलैड के निलंबन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी। मौजूदा विधेयक इससे संबंधित संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेंशन अध्यादेश 2020 के स्थान पर लाया गया है। इसके जरिये संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेंशन अधिनियम, 1954 में संशोधन किया गया है।
अब इस विधेयक के पारित होने के बाद प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद समेत सभी सांसदों के वेतन में वित्त वर्ष 2020-2021 में 30 फीसदी की कटौती की जाएगी। जबकि तमाम सांसदों ने पहले ही कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए अपने एमपीलैड फंड पांच करोड़ रुपये का इस्तेमाल करने का वादा किया था।
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इस संबंध में मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि एमपीलैड फंड का निलंबन अस्थायी तौर पर किया गया है और फिलहाल यह दो साल के लिए निलंबित रहेगा। उन्होंने आगे कहा, “मुझे खुशी है कि लोकसभा और राज्यसभा से चैरिटी शुरू हुई। यह चैरिटी इसलिए है क्योंकि राष्ट्रव्यापी बंद और अन्य चीजों के चलते अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। जब ऐसी चीजें होती हैं, तो हमें कुछ असाधारण फैसले लेने की आवश्यकता होती है।”
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उन्होंने कहा, “सरकार ने फैसला किया है कि दूसरों के लिए रोल मॉडल बने। हमने कोरोना महामारी को रोकने के लिए बहुत सारे उपाय किए और अभूतपूर्व कदम उठाए। प्रधानमंत्री मोदी जी ने मुझसे कहा कि सभी सांसदों को इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। इसकी वजह कि यह केंद्र या राज्य से संबंधित नहीं है।”
जोशी ने आगे बताया कि किस तरह केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज और 1.76 लाख करोड़ रुपये की गरीब कल्याण योजना बनाई। इस योजना के जरिये इस साल नवंबर तक सभी गरीबों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के लिए भी 40 हजार करोड़ रुपये का बजट जारी किया।
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वहीं, विधेयक पर चर्चा शुरू करते हुए कांग्रेस सांसद डीन कुरियाकोस ने कहा, “यह बहुत दुखद है कि बिना किसी परामर्श और पूर्व सूचना के एमपीलैड पर फैसला लिया गया। मैं इस कदम का समर्थन करता हूं, लेकिन सरकार द्वारा अपनाए गए तरीके का विरोध करता हूं।”
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जबकि द्रमुक के चेन्नई (उत्तर) से सांसद वीरस्वामी कलानिधि ने कहा, “देश के लिए धन इकट्ठा करने के अन्य तरीके भी हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह मौजूदा हालात के अनुसार नहीं किया जाना चाहिए। हमें धन एकत्रित करने के अन्य जरियों की भी तलाश करनी होगी।”
उन्होंने आगे कहा, “सरकार आने वाले तीन से पांच वर्षों में 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से नए संसद भवन बनाने के प्रस्ताव के साथ आगे बढ़ी है। जबकि देश एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। इस राशि का इस्तेमाल महामारी और आर्थिक संकट से निपटने के लिए किया जा सकता है।”

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