scriptमोहन भागवत ने आंदोलनकारियाें पर कसा तंज, कहा- ‘आज गांधीजी की कल्पना वाला का भारत नहीं है’ | Mohan Bhagwat lashed out at the agitators, saying - 'Today there is no India of Gandhiji's imagination' | Patrika News
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मोहन भागवत ने आंदोलनकारियाें पर कसा तंज, कहा- ‘आज गांधीजी की कल्पना वाला का भारत नहीं है’

आजकल चल रहे आंदोलन में प्रायश्चित करने वाला कोई नहीं
गांधी को समझने का सही समय आ गया है
हमें वैसा ही सोचना होगा जैसा परिस्थिति है

Feb 18, 2020 / 09:36 am

Dhirendra

Mohan Bhagwat

आरएसएस प्र्र्रमुख माेहन भागवत।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS ) के सर कार्यवाह मोहन भागवत ( Mohan Bhagwat ) ने नागरिकता संशोधन कानून ( CAA ) पर देशभर में जारी आंदोलन पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा है कि आजकल चल रहे आंदोलन में कोई प्रायश्चित करने वाला नहीं है।
संघ प्रमुख ने कहा कि सभी प्रमाण होने के बावजूद बावजूद गांधीजी ( Gandhiji ) के आंदोलन में अगर गड़बड़ी होती थी तो वह प्रायश्चित करते थे। नई पीढ़ी को बूंद-बूंद प्रयास करना होगा। भागवत ने कहा कि परिस्थितियां बदलेंगी और सारा रंग एक ही होगा।
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दिल्ली के गांधी स्मृति स्थित कीर्ति मंडल में सोमवार को जगमोहन सिंह राजपूत की पुस्तक ‘गांधी को समझने का सही समय’ का लोकार्पण करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि महात्मा गांधी ने कभी भी लोकप्रियता और सफलता और असफलता की परवाह नहीं की। अंतिम व्यक्ति का हित विकास की कसौटी है। ये उनका प्रयोग था और जब कभी गड़बड़ी हुई प्रयोग में तो उन्होंने माना कि ये तरीका गलत था। गांधी जी की प्रमाणिकता के पाठ को हमें आज से शुरू करना चाहिए।
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संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि गांधीजी को समझने का सही समय आ गया है। अगर हम गांधीजी को सही में समझ पाते तो आजादी के बाद से जो भी समस्याएं बनी हुई हैं उनका हल हो गया होता। आज का भारत गांधीजी की कल्पना का भारत नहीं है। संघ प्रमुख ने कहा कि गांधीजी को जो परिस्थिति और जो समाज मिला उसके अनुसार उन्होंने सोचा आज जो परिस्थिति है वैसा सोचना होगा।
उन्होंने कहा कि गांधीजी की सत्यनिष्ठा निर्विवाद है। गांधीजी के वैचारिक दृष्टि का मूल शुद्ध भारतीयता था। इसलिए उन्हें अपने हिंदू होने पर कभी लज्जा महसूस नहीं हुई। उन्होंने स्वयं को शुद्ध सनातनी हिंदू बताया। उनका विचार था अपनी श्रद्धा पर अडिग रहो और सभी धर्मो का सम्मान करो।
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इस मौके पर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि गांधीजी अब भी प्रासंगिक और सामयिक हैं। गांधीजी का पूरा जीवन महाभारत जैसा महाकाव्य था। इस मौके पर शिक्षाविद प्रो.जगमोहन सिंह राजपूत ने कहा कि महात्मा गांधी महामानव थे। रंगभेद के बड़े संघर्ष में गांधीजी सफल हुए।

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