संघ प्रमुख ने कहा कि सभी प्रमाण होने के बावजूद बावजूद गांधीजी ( Gandhiji ) के आंदोलन में अगर गड़बड़ी होती थी तो वह प्रायश्चित करते थे। नई पीढ़ी को बूंद-बूंद प्रयास करना होगा। भागवत ने कहा कि परिस्थितियां बदलेंगी और सारा रंग एक ही होगा।
शिवसेनाः गुलाम मानसिकता की शिकार है बीजेपी, ट्रंप के लिए छुपाई जा रही है गुजरात की गरीबी दिल्ली के गांधी स्मृति स्थित कीर्ति मंडल में सोमवार को जगमोहन सिंह राजपूत की पुस्तक ‘गांधी को समझने का सही समय’ का लोकार्पण करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि महात्मा गांधी ने कभी भी लोकप्रियता और सफलता और असफलता की परवाह नहीं की। अंतिम व्यक्ति का हित विकास की कसौटी है। ये उनका प्रयोग था और जब कभी गड़बड़ी हुई प्रयोग में तो उन्होंने माना कि ये तरीका गलत था। गांधी जी की प्रमाणिकता के पाठ को हमें आज से शुरू करना चाहिए।
Corona Virus: दिल्ली के एक अस्पताल का बड़ा फैसला, बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम किया बंद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि गांधीजी को समझने का सही समय आ गया है। अगर हम गांधीजी को सही में समझ पाते तो आजादी के बाद से जो भी समस्याएं बनी हुई हैं उनका हल हो गया होता। आज का भारत गांधीजी की कल्पना का भारत नहीं है। संघ प्रमुख ने कहा कि गांधीजी को जो परिस्थिति और जो समाज मिला उसके अनुसार उन्होंने सोचा आज जो परिस्थिति है वैसा सोचना होगा।
उन्होंने कहा कि गांधीजी की सत्यनिष्ठा निर्विवाद है। गांधीजी के वैचारिक दृष्टि का मूल शुद्ध भारतीयता था। इसलिए उन्हें अपने हिंदू होने पर कभी लज्जा महसूस नहीं हुई। उन्होंने स्वयं को शुद्ध सनातनी हिंदू बताया। उनका विचार था अपनी श्रद्धा पर अडिग रहो और सभी धर्मो का सम्मान करो।
नीतीश कुमार बोले- जबतक मैं सीएम हूं बिहार में लागू रहेगी शराबबंदी इस मौके पर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि गांधीजी अब भी प्रासंगिक और सामयिक हैं। गांधीजी का पूरा जीवन महाभारत जैसा महाकाव्य था। इस मौके पर शिक्षाविद प्रो.जगमोहन सिंह राजपूत ने कहा कि महात्मा गांधी महामानव थे। रंगभेद के बड़े संघर्ष में गांधीजी सफल हुए।