पढ़ें- मोदी शपथ ग्रहण: 2014 से इन मायनों में अलग होगा 2019 का समारोह, इस बार ये चीजें हैं खास पिछली सरकार में तीन मुस्लिम मंत्री मोदी सरकार में पिछली बार मुख्तार अब्बास नकवी (राज्य सभा सांसद), एमजे अकबर (राज्यसभा सांसद), नेजमा हेपतुल्ला (राज्य सभा सांसद) मंत्री थे। एमजे अकबर पर #MeToo का आरोप लगा, जिसके बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। नेजमा हेपतुल्ला वर्तमान में मणिपुर की गर्वनर हैं। ऐसे में मुख्तार नकवी पार्टी के पास एक विकल्प है। देखना यह होगा कि मोदी मंत्रिमंडल में नकवी को फिर से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से ही संतोष करना पड़ेगा या किसी और मंत्रालय में अपनी कार्य क्षमता दिखाने का उन्हें मौका मिलेगा। चर्चा यह भी है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के साथ किसी और मंत्रालय की जिम्मेदारी देकर उनका कद बढ़ाया जा सकता है।
पढ़ें- मोदी शपथ ग्रहण: चुनाव से लेकर PM बनने तक छाया बंगाल, 54 बीजेपी कार्यकर्ताओं के परिजनों के निमंत्रण पर सियासी उबाल MJ Akbar Nazma” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/05/30/ma-naqvi_4641435-m.jpg”>मुस्लिम मुक्त बीजेपी का संसदीय कुनबा! इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने तीन मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतार था। लेकिन, एक भी मुस्लिम उम्मीदवार संसद नहीं पहुंच सके। बीजेपी ने इस चुनाव में 303 सीटों पर जीत हासिल की है, लेकिन उनका संसदीय कुनबा मुस्लिम मुक्त है। पार्टी ने जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और पश्चिम बंगाल में मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारा था। वहीं, बीजेपी के सहयोगी दल जेडीयू और एलजेपी ने भी मुस्लिम चेहरे पर दांव खेला था। इनमें जेडीयू ने किशनगंज से मोहम्मद अशरफ को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। वहीं, एलजेपी ने खगड़िया से महबूब अली कैसर को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। किशनगंज में जेडीयू को हार मिली, जबकि महबूब अली कैसर चुनाव जीत गए। ऐसे में चर्चा यह है कि महबूब अली कैसर को मोदी मंत्रिमंडल में मौका मिल सकता है। दरअसल, पिछली बार भी कैसर का नाम उछला था लेकिन उन्हें हज कमिटी का अध्यक्ष बनाया गया था। इस बार एलजेपी से रामविलास पासवान का नाम पहले ही फाइनल हो चुका है। हालांकि, पासवान इस बार राज्य सभा जाएंगे।
पढ़ें- मोदी शपथ ग्रहण: मेहमानों से लेकर पकवानों तक जानिए पीछली बार से क्या खास है इस बार मोदी मंत्रिमंडल का टूटेगा रिकॉर्ड या बनेगा नया समीकरण? पिछली बार मोदी मंत्रिमंडल में केवल तीन मुस्लिम चेहरों को शामिल किया गया था। बीजेपी के फायरब्रांड मुस्लिम नेता शहनवाज हुसैन इस बार चुनाव नहीं लड़े हैं और पिछली बार चुनाव हारने के कारण वो साइड लाइन हो गए थे। लिहाजा, इस बार चर्चा यह है कि किस मुस्लिम चेहरे को मोदी मंत्रिमंडल में मौका मिलेगा? क्या पिछली बार का रिकॉर्ड टूटेगा या फिर कुछ नया समीकरण बनेगा?