सरकार को विरोध पसंद नहीं: सिन्हा
सिन्हा ने कि आजकल हर जगह ‘स्पेस’ कम होते जा रहे हैं। जेएनयू अभिव्यक्ति की आजादी मुक्त चिंतन उदार विचारों के लिए जाना जाता है, पर आज विरोध के स्वर के लिए स्थान नहीं है और सरकार को प्रतिरोध स्वीकार्य नहीं है सरकार को यह विश्वविद्यालय पसंद नहीं, इसलिए वह इसे बंद करना चाहती है। वह और भी ऐसे संस्थानों को बंद करना चाहती है जो उसे पसंद नहीं।
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खतरे में पड़ जाएगा लोकतंत्र: यशवंत सिन्हा
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज का समय असामान्य है, कुछ भी शुद्ध और पवित्र नहीं है। भीड़ सब जगह ध्वंस करने में लगी है,एक तरह की मानसिकता वाले लोग सभी तरह के विरोधी स्वर को खत्म करने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि आज असहमति के लिए जगह नहीं है अगर लोकतंत्र में यह स्पेस यानी स्थान नहीं है तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि आज मीडिया में क्या खबरें छपेंगी, इस पर भी उनका नियंत्रण है, इसलिए पता नहीं की उनका सन्देश दूर तक जाएगा या नहीं।
‘विश्वविद्यालयों की आजादी छिनने की चल रही तैयारी’
यशवंत सिन्हा ने कहा कि वह एक सरकारी स्कूल एवं सरकारी कालेज में पढ़े हैं इसलिए सरकार द्वारा वित्तीय पोषित शिक्षा व्यवस्था की अहमियत को समझते है, लेकिन उच्च शिक्षा आयोग विधेयक से निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा ही बल्कि स्वायत्तता देने के नाम पर विश्वविद्यालयों की आजादी ही छिन जायेगी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का पूरी तरह कब्जा हो जाएगा और कैबिनेट सचिव तथा शिक्षा सचिव और प्रमुख उद्योगपति के नाम पर जिओ विश्वविद्यालय के लोग उच्च शिक्षा आयोग के अध्यक्ष का चुनाव करेंगे।