आतंकी सलाहुद्दीन के बेटों को सरकारी नौकरी से बर्खास्त किए जाने को लेकर महबूबा ने कहा कि पिता के कामों के लिए उनके बेटों को सजा कैसे दी जा सकती है? सोमवार को महबूबा ने सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि मैं किसी का समर्थन नहीं कर रही, लेकिन आप किसी व्यक्ति के किए बुरे काम की सजा उसके बेटे को तब तक नहीं दे सकते, जब तक की आपके पास कोई सबूत ना हो। बात सिर्फ 11 कर्मचारियों की नहीं है, बल्कि इस साल 20-25 लोगों को नौकरियों से निकाला गया है।
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बता दें कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठनों से संबंध रखने के आरोप में तमाम लोगों को सरकारी नौकरियों से बर्खास्त किया गया है। बर्खास्त हुए लोगों पर आतंकवादियों के सहयोगी के रूप में काम करने का आरोप लगा है। अब इन सभी के खिलाफ जांच के आदेश जारी किए गए हैं। इनमें हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सैयद सलाहुदीन के दो बेटे भी शामिल हैं। एनआईए ने अभी तक की अपनी जांच में पाया कि दोनों हिजबुल मुजाहिदीन के लिए पैसा उगाहने, वसूलने, जमा करने और उसे हवाला के जरिए ट्रांसफर करने में शामिल थे।
बिना जांच हटाए गए सलाहुद्दीन के बेटे, दो पुलिसवाले भी शामिल
बता दें कि जिन लोगों को सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया है उनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। बर्खास्त किए गए कर्चमारियों में चार अनंतनाग, तीन बढगाम, एक बारामूला, एक श्रीनगर, एक पुलवामा, एक कुपवाड़ा के हैं। जानकारी के अनुसार, ये आतंकियों को सुरक्षाबलों के बारे में पूरी जानकारी दिया करते थे।
महबूबा ने कहा कि पिता द्वारा किए गए बुरे काम के लिए बेटों को नहीं सताया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि बिना जांच के उन लोगों को हटाया गया है। बता दें कि महबूबा ने 11 जुलाई को भी उनके सपोर्ट में ट्वीट किया था।