राजनीति

ज्यादा महिला और कम मुस्लिमों को टिकट, ममता ने BJP के लिए ऐसे धर्म और जाति के समीकरण में बैठाया संतुलन

पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले दीदी ने की उम्मीदवारों की घोषणा
294 में से 291 सीटों पर लड़ेंगे पार्टी के उम्मीदवार
टिकट बंटवारे के साथ ही दीदी ने धर्म और जाति के समीकरण को साधने की कोशिश की

Mar 06, 2021 / 01:00 pm

धीरज शर्मा

टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में चुनाव ( West Bengal Assembly Election ) रणभेरी के साथ ही राजनीतिक दलों का रणनीतियों पर काम शुरू हो चुका है। सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ( CM Mamata Banerjee )ने अपने 291 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने के साथ ही चुनाव मैदान में दमदारी से ताल ठोंक दी है।
ममता बनर्जी ने 50 सीटों पर जहां महिला उम्मीदवारों को उतारा है वहीं 42 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को ही टिकट दिए हैं। अपने इस दांव के जरिए ममता जनता को साफ संदेश देना चाहती है कि वे धर्म और जाति दोनों में संतुलन बनाकर चलेगी।
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ममता बनर्जी ने 291 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। जबकि तीन सीटें उसके गठबंधन सहयोगी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के लिए छोड़ी गई हैं। ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ेंगी, इस बार पार्टी नेता सोभनदेब चट्टोपाध्याय के लिए अपनी भवानीपुर सीट छोड़ दी।
उम्मीदवार सूची में, बनर्जी ने महिला कैंडिडेट पर विशेष ध्यान देने के साथ समाज के सभी वर्गों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है।

सूची में 50 महिला उम्मीदवार (कुल उम्मीदवारों का 17%), 79 एससी उम्मीदवार (27%), 42 मुस्लिम उम्मीदवार (14%) और 17 एसटी उम्मीदवार (5%) शामिल हैं।
इस सूची में अभिनेता, गायक, डॉक्टर, खेल व्यक्तित्व, लेखक, पूर्व आईपीएस अधिकारी और पार्टी के दिग्गज नेता शामिल हैं। 80 वर्ष से ज्यादा आयु के नेताओं को बाहर रखा गया है।

महिलाओं पर फोकस
पार्टी के चुनावी नारे ‘बंगला निजेर मेयेकी चाय’ यानी बंगाल अपनी बेटी ही चाहती है) के अनुरूप, टीएमसी ने इस बार 2016 के विधानसभा चुनावों की तुलना में पांच अधिक महिला उम्मीदवारों को उतारा है।
इस कदम से स्पष्ट है कि पार्टी बीजेपी को साधने के लिए महिला मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने टीएमसी के पूर्व नेता सुमित्रा खान की पत्नी सुजाता खान को भी टिकट दिया है।
वहीं, राज्य के पूर्व मंत्री बने सोवन चटर्जी की पत्नी रत्ना चटर्जी को सोवन के निर्वाचन क्षेत्र बेहला पुरबा से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया है।

मुस्लिम तुष्टिकरण का टैग हटाने की कोशिश
2016 में, पार्टी ने 57 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था, जबकि इस बार संख्या 42 से नीचे है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, यह मुस्लिम तुष्टिकरण टैग को हटाने का एक प्रयास है। बंगाल में करीब 30 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं, जो करीब 100 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर जीत हार में अहम भूमिका अदा करते हैं।
बीजेपी को कड़ी चुनौती
ममता बनर्जी बंगाल में दलित और अनुसूचित जनजाति को भी साधने की कवायद करती नजर आ रही हैं। यही वजह है कि उन्होंने 79 दलित उम्मीदवारों जबकि 17 अनुसूचित जनजाति के प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है।
बंगाल में एससी और एसटी समुदाय की आबादी भी करीब 30 फीसदी है, जो राजनीतिक लिहाज से काफी अहम मानी जाती है। लिहाजा दीदी ने इन दोनों समुदाय को बड़ी तादाद उतार कर बीजेपी को कड़ी चुनौती दे डाली है।
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एंटी-इनकंबेंसी से निपटने की तैयारी
दिलचस्प बात यह है कि टीएमसी के पास चुनाव लड़ने के लिए 114 नए चेहरे हैं। इसके अलावा, 160 सीटों पर उम्मीदवारों को बदल दिया गया है।
यह एंटी-इनकंबेंसी के डर और मतदाताओं को बेहतर उम्मीदवार देने के लिए है। 2006 में, वाम मोर्चा सरकार ने 150 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को बदल दिया था, जिससे पार्टी को राज्य में 230 सीटों पर जीत मिली।
वहीं पुराने और नए नेताओं के बीच संतुलन बनाने के लिए युवा चेहरों को पार्टी में लाने पर जोर दिया गया।

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