इस बीच जो बड़ी खबर सामने आ रही है वो ये कि शिवसेना को सपोर्ट करने के कांग्रेस के फैसले के बाद पार्टी में ही गुटबाजी शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कांग्रेस के 44 विधायकों में से 37 विधायक तो शिवसेना को सहयोग करने के समर्धन में हैं, लेकिन 7 विधायकों ने विरोध करना शुरू कर दिया है।
अयोध्या मामले पर बीजेपी के दिग्गज नेता ने फंसाया नया पेच, अब बढ़ेगी मुश्किल! कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने तो यहां तक कह दिया है, शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार ज्यादा दिन की सरकार नहीं है। हिंदुत्सव के एजेंडे से अलग होकर शिवसेना ज्यादा दिन सरकार नहीं चला पाएगी और 6 महीने में ही ये सरकार गिर जाएगी।
हालांकि दूसरी तरफ लगातार कांग्रेस खेमे और एनसीपी खेमे में बैठकों का दौर चल रहा है। इस बैठक में सरकार बनाने के फॉर्मूले पर चर्चाएं चल रही हैं। कौन होगा सीएम पर इस पर मंथन
शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्रदेश का सीएम कौन होगा आदित्य ठाकरे, उद्धव ठाकरे या फिर कोई और…इसको लेकर लगातार बैठकों को दौर चल रहा है। यही नहीं डिप्टी सीएम से लेकर अन्य महत्वपूर्ण मंत्रियों तक बंटवारे पर भी विचार किया जा रहा है।
शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्रदेश का सीएम कौन होगा आदित्य ठाकरे, उद्धव ठाकरे या फिर कोई और…इसको लेकर लगातार बैठकों को दौर चल रहा है। यही नहीं डिप्टी सीएम से लेकर अन्य महत्वपूर्ण मंत्रियों तक बंटवारे पर भी विचार किया जा रहा है।
कांग्रेस की खटपट का असर
शिवसेना के बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद अपने बूते सरकार बनाने में एनसीपी और कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। ऐसे में कांग्रेस में आपसी मतभेद नई नवेली सरकार के सपने को चकनाचूर भी कर सकता है। हालांकि महाराष्ट्र में कांग्रेस विधायकों ने इस निर्णय को पूरी तरह आलाकमान पर छोड़ दिया है।
शिवसेना के बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद अपने बूते सरकार बनाने में एनसीपी और कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। ऐसे में कांग्रेस में आपसी मतभेद नई नवेली सरकार के सपने को चकनाचूर भी कर सकता है। हालांकि महाराष्ट्र में कांग्रेस विधायकों ने इस निर्णय को पूरी तरह आलाकमान पर छोड़ दिया है।
सोनिया-पवार का पावर
आपको बता दें कि अब महाराष्ट्र में सरकार बनने के पीछे सोनिया-पवार का पावर काफी अहम माना जा रहा है। अब सबकी नजरें कांग्रेस पर टिकी हैं क्योंकि एनसीपी समर्थन को लेकर अपना मन बना चुकी है। जबकि सोनिया के इशारे का इंतजार है।
आपको बता दें कि अब महाराष्ट्र में सरकार बनने के पीछे सोनिया-पवार का पावर काफी अहम माना जा रहा है। अब सबकी नजरें कांग्रेस पर टिकी हैं क्योंकि एनसीपी समर्थन को लेकर अपना मन बना चुकी है। जबकि सोनिया के इशारे का इंतजार है।
राज्यपाल को पेश करेंगे दावा
सोनिया गांधी का इशारा मिलते ही कांग्रेस-एनसीपी का समर्थन शिवसेना को मिल जाएगा। इस आधार पर शिवसेना-56, एनसीपी- 54 और कांग्रेस 44 यानी कुल मिलाकर 154 सीटें, जबकि बहुमत के लिए चाहिए 146 सीटें।
सोनिया गांधी का इशारा मिलते ही कांग्रेस-एनसीपी का समर्थन शिवसेना को मिल जाएगा। इस आधार पर शिवसेना-56, एनसीपी- 54 और कांग्रेस 44 यानी कुल मिलाकर 154 सीटें, जबकि बहुमत के लिए चाहिए 146 सीटें।
ऐसे में शिवसेना राज्यपाल के पास जाएगी औऱ अपनी सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत करेगी।