कौन सी सीट है यह लोकसभा सीट है तेलंगाना राज्य की निजामाबाद, जहां पर मतदाता इस बार ईवीएम की बजाए मतपत्रों पर मोहर लगाएंगे। आगामी 11 अप्रैल को यहां पर पहले दौर के चुनाव के दिन मतदान होना है। यहां पर ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर इस्तेमाल किए जाने का कारण उम्मीदवारों की भारी तादाद है।
जानिए क्या है VVPAT से 50 फीसदी मतों के सत्यापन का मामला फिलहाल निजामाबाद लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) की बेटी काल्वाकुंतला कविता कर रही हैं।
भारी तादाद में उम्मीदवार उतरे तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रजत कुमार ने मीडिया को बताया कि निजामाबाद लोकसभा सीट पर चुनाव के लिए अब 185 उम्मीदवार मैदान में हैं। बृहस्पतिवार शाम 4 बजे नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि खत्म हो गई।
लोकसभा चुनाव 2019: इस सीट पर बड़ा दिलचस्प मुकाबला, सियासी जंग में पिता के खिलाफ उतरी बेटी उन्होंने कहा कि इस लोकसभा सीट पर नामांकन की अंतिम तिथि 25 मार्च तक 200 से ज्यादा नामांकन कराए गए। इसके बाद हुई स्क्रूटनी में छंटनी के बाद 189 उम्मीदवारों के नाम बचे रह गए। इनमें से 4 ने अपना नामांकन वापस ले लिया और अब 185 उम्मीदवार ही बचे।
अनोखी वजह सेे बढ़ी उम्मीदवारों की संख्या इस सीट से कविता के अलावा कांग्रेस की उम्मीदवार मधु याक्षी गौड़ और भाजपा की धर्मापुरी अराविंद प्रमुख हैं। इस लोकसभा सीट पर खास बात यह है कि इस बार 178 उम्मीदवार किसान हैं जो हल्दी और लाल ज्वार उगाते हैं और सभी ने निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन कराया है, ताकि उनकी फसलों के सही भुगतान की मांग प्रमुखता से उठ सके।
लोकसभा चुनाव से पहले जान लीजिए वीवीपैट से जुड़ेे विवाद बताया जा रहा है कि शुरुआत में करीब 1000 किसान चुनाव लड़ना चाह रहे थे, लेकिन काफी खींचतान के बाद 178 किसान मैदान में हैं। गौरतलब है कि निजामाबाद में 15 लाख मतदाता हैं, जो इस बार वोट देंगे।
चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, ईवीएम नहीं बैलेट पेपर से होगा मतदान” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/03/29/ballot_paper_1_4347111-m.jpg”>ईवीएम के जरिये मतदान संभव नहीं अब ऐसे में जब निजामाबाद सीट पर 185 उम्मीदवार अपना राजनीतिक भविष्य तलाश रहे हैं, चुनाव आयोग के पास बैलेट पेपर के अलावा अन्य किसी तरीके से चुनाव आयोजित कराने का कोई विकल्प नहीं रह जाता। मुख्य चुनाव अधिकारी ने कहा, “क्योंकि ईवीएम के जरिये मतदान कराना संभव नहीं है, इसलिए हम बैलेट पेपर का इस्तेमाल करेंगे। हमनें इस मामले की जानकारी भारतीय निर्वाचन आयोग को दे दी है और उनके निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं।”
चुनाव जीतने के लिए भाजपा को राम से ज्यादा रॉबर्ट पर भरोसा! उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें नहीं पता है कि बैलेट पेपर की छपाई में कितना वक्त लगेगा। सबसे पहले तो हमे सभी उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न आवंटित करने होंगे। इसके बाद हमें बैलेट बॉक्स (मतपेटी) के इंतजाम करने होंगे। इसके लिए सभी इंतजाम चुनाव आयोग करेगा।
अधिकतम 64 उम्मीदवारों के लिए होती है ईवीएम दरअसल एक ईवीएम में अधिकतम 16 उम्मीदवारों के ही नाम दर्ज हो सकते हैं। एक कंट्रोल यूनिट अधिकतम चार ईवीएम से ही जुड़कर इनका रिकॉर्ड दर्ज कर सकती है। यानी एक कंट्रोल यूनिट अधिक से अधिक 64 उम्मीदवारों के नाम पर ही मतदान के लिए इस्तेमाल की जा सकती है।
इससे पहले भी इस्तेमाल हुए बैलेट पेपर गौरतलब है कि राज्य में 1996 और 2010 में भी बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया गया था। जबकि हाल ही में जनवरी 2019 में आयोजित ग्राम पंचायत चुनाव में भी मतपत्रों से वोट पड़े थे।