सामना में संजय राउत ने लिखा कि मध्यमवर्गीय समाज के नौकरीपेशा लोगों की नौकरियां चली गईं। उनकी समस्या का समाधान क्या है? राम मंदिर का भूमि पूजन होगा, भाजपा को राजस्थान चाहिए, ऐसा होगा। फ्रांस से रफाल विमान भी अंबाला में उतर गया। लेकिन जिन्होंने इस दौर में नौकरी गंवाई है उनका निश्चित तौर पर कैसे चल रहा है, क्या कभी शासक ये बताएंगे?
उन्होंने लिखा, “अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन ( Ram Temple Bhumi Pujan ) प्रधानमंत्री मोदी के हाथों हो रहा है। यह समारोह पांच अगस्त को सिर्फ 200 अतिथियों की उपस्थिति में होगा। ये अतिथि कौन होंगे, यह भारतीय जनता पार्टी अथवा संघ परिवार ही तय करेगा। अयोध्या दिवाली की तरह सजने लगी है, ऐसा पढ़ा है। इसी के साथ-साथ राम मंदिर के पुजारी और वहां के सेवक, सुरक्षा रक्षकों पर कोरोना का हमला हुआ है, ऐसी खबरें सामने आई हैं। इसलिए कोरोना संक्रमण के बीच भूमिपूजन समारोह निश्चित तौर पर कैसे होगा, यह देखना होगा। मंदिर का भूमिपूजन हो रहा है, यह महत्वपूर्ण है।”
राउत ( Sanjay Raut ) ने लिखा, “राम का वनवास भक्तों ने खत्म कर दिया होगा फिर भी वर्तमान समय बहुत दुश्वारियोंवाला आया है। यह हमारे प्रधानमंत्री भी स्वीकार करेंगे। जीवन से संबंधित इतनी हानि और असुरक्षितता आज तक कभी किसी को भी महसूस नहीं हुई होगी। कोरोना वायरस महामारी के कारण हमारे देश में 10 करोड़ लोग रोजगार गंवानेवाले हैं। यह एक अनुमानित आंकड़ा है। ‘कोरोना मंदी’ के कारण कम-से-कम 40 करोड़ परिवारों की आजीविका पर आक्रमण होगा, ऐसा मेरा अनुमान है। चार लाख करोड़ का फटका उद्योग व्यवसाय को लगा है। उसमें भी छोटे व्यापारी, दुकानदार बड़ी संख्या में शामिल हैं। लोगों के संयम की भी मर्यादा होती है। महज आशाओं और आश्वासनों पर लोग कब तक दिन गुजारेंगे?”
पीएम मोदी के इस्तीफे के बारे में शिवसेना सांसद ने लिखा, “विगत 15 वर्षों में लोगों की एक भी परेशानी दूर नहीं हुई है। बल्कि अड़चन बढ़ती ही गई है। कोरोना के कारण आज जिया कैसे जाए? यह एक ही सवाल विकराल रूप धारण करके हर किसी के घर में बैठ गया है। इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त हैं। आर्थिक संकट और कोरोना संबंधित अपयश के कारण संतप्त इजराइली जनता ने जगह-जगह सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इजराइल की जनता प्रधानमंत्री नेतन्याहू का इस्तीफा मांग रही है। ऐसा ही वक्त हिंदुस्तान में भी आ सकता है।”
राउत ने इसके लिए पीएम मोदी द्वारा अपनाई जा रही उपाय योजना पर कटाक्ष करते हुए लिखा, “हिंदुस्तान में भी कोरोना की समस्या गंभीर हो चुकी है। इस पर ‘मात’ करने के लिए सरकारी स्तर पर क्या उपाय योजनाएं की जा रही हैं देखिए-
1) परमाणु शस्त्र, घातक बमों से लैस पांच फाइटर जेट रफाल ( Rafale fighter jets ) हिंदुस्तान पहुंचे। अंबाला एयरपोर्ट स्टेशन पर उनका आगमन हुआ। वहां इन विमानों की सुरक्षा के लिए आसपास के परिसर में धारा 144 लागू की गई है।
2) राजस्थान में राजनीतिक अस्थिरता निर्माण करके कांग्रेस के गहलोत की सरकार को मुश्किल में डाला गया है। वहां अब राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा। ऐसा माहौल दिख रहा है।
3) भाजपा की एक सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा है कि रोज एकाग्रचित्त से हनुमान चालीसा का पाठ करने से कोरोना सहित सभी संकटों से मुक्ति मिल जाएगी। (40 करोड़ लोग रोजगार गवां चुके हैं, उन्हें काम मिलेगा क्या?)
5) सोने की कीमतें 51 हजार रुपए तोला तक पहुंच गई हैं।
6) भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घोषणा की है कि अब महाराष्ट्र में अपने दम पर सत्ता लाएंगे।
इन खबरों का महत्व इसलिए है कि संकटों पर कोई बोल नहीं रहा है। भूख, बेरोजगारी को लेकर कोई व्याकुलता व्यक्त करता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। ‘संकट ही अवसर’ ऐसी बातें मुंह से कहना आसान होता है लेकिन लोग संकट से कैसे मुकाबला कर रहे हैं, यह किसी को भी पता नहीं है।”
1) परमाणु शस्त्र, घातक बमों से लैस पांच फाइटर जेट रफाल ( Rafale fighter jets ) हिंदुस्तान पहुंचे। अंबाला एयरपोर्ट स्टेशन पर उनका आगमन हुआ। वहां इन विमानों की सुरक्षा के लिए आसपास के परिसर में धारा 144 लागू की गई है।
2) राजस्थान में राजनीतिक अस्थिरता निर्माण करके कांग्रेस के गहलोत की सरकार को मुश्किल में डाला गया है। वहां अब राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा। ऐसा माहौल दिख रहा है।
3) भाजपा की एक सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा है कि रोज एकाग्रचित्त से हनुमान चालीसा का पाठ करने से कोरोना सहित सभी संकटों से मुक्ति मिल जाएगी। (40 करोड़ लोग रोजगार गवां चुके हैं, उन्हें काम मिलेगा क्या?)
5) सोने की कीमतें 51 हजार रुपए तोला तक पहुंच गई हैं।
6) भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घोषणा की है कि अब महाराष्ट्र में अपने दम पर सत्ता लाएंगे।
इन खबरों का महत्व इसलिए है कि संकटों पर कोई बोल नहीं रहा है। भूख, बेरोजगारी को लेकर कोई व्याकुलता व्यक्त करता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। ‘संकट ही अवसर’ ऐसी बातें मुंह से कहना आसान होता है लेकिन लोग संकट से कैसे मुकाबला कर रहे हैं, यह किसी को भी पता नहीं है।”
उन्होंने आगे लिखा, “सब बंद है। कॉलेज, कारखानें, दुकानें बंद हैं। मॉल, रेस्टोरेंट्स बंद ही हैं। लोकल ट्रेन, सार्वजनिक परिवहन ठप हैं। कृषि उत्पाद धरे पड़े हैं। जहां जाएं वहां निराशा की सिसकारी और हताशा के इशारों के अलावा और कुछ सुनने या देखने को नहीं मिलता है। महाराष्ट्र में एसटी के कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिली है। इसका प्रावधान सरकारी स्तर पर होगा। सरकारी कर्मचारियों की पगार भी कर्ज लेकर दी जाएगी। लेकिन इसके अलावा भी एक बड़ा वर्ग समाज में है, जिसका कोई भी माई-बाप नहीं है! सड़क पर ‘चर्मकार’ होता है। हर गली में एक तो होता ही है। दिनभर में उसके पास 50 फटी चप्पलें सीने व पॉलिश करने के लिए आती हैं। बरसात के दिनों में वह छातों की मरम्मत भी कर देता है। 4 महीने से यह सड़क पर का चर्मकार व उसके परिजन कैसे जी रहे हैं? प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ के छींटे उन पर पड़े हैं क्या?
कई पहचान के लोग मिलते हैं। उन्हें आप पूछें, ‘फिलहाल क्या कर रहे हो?’ तो उनमें से युवा बच्चे भी निर्विकार भाव से उत्तर देते हैं, ‘कुछ नहीं, फिलहाल तो घर में ही रहता हूं।’ आप उन्हें आगे पूछें, ‘फिर घर कैसे चल रहा है?’ इस पर, ‘कहां क्या चल रहा है?’ ऐसा उत्तर देकर चले जाते हैं। इन सभी का कैसे चल रहा है? यह सवाल किसी भी सरकार के मन में उठना चाहिए और उनकी ये अवस्था कब तक चलती रहेगी? यह प्रश्न अपने मन में पूछना चाहिए।”
बेरोजगारों का क्या? लाखों नहीं करोड़ों लोग आज बेरोजगार होकर घर बैठे हैं। आसमान में कई सुराख हो गए हैं। कई धंधे बंद हो गए हैं। दुकानों में ताले लग गए हैं। उद्योग दिवालिया हो गए हैं। शिक्षा बंद हो गई है। नौकरी में छंटाई चल रही है। लेकिन नौकरी जिनकी है उनकी पगार कम कर दी गई है। महंगाई, गरीबी और बेकारी के असंख्य दावानल समाज में भड़क उठे हैं। कोविड से युद्ध यह एक रण का मैदान ही है। इस रण के मैदान में सरकार उतर ही गई है। रण के मैदान में लीड से अधिक आर्थिक नेतृत्व महत्वपूर्ण है। जो प्राण कोविड के मैदान में बचा लिए गए हैं, उन्हें आर्थिक मोर्चे पर गवां दिए तो निश्चित तौर पर हासिल क्या किया? सवाल ही रह जाएगा। हनुमान चालीसा पढ़ने से कोरोना जाएगा, यह सच होगा तो हनुमान चालीसा के पाठ से रोजगार गवां चुके 10 करोड़ लोगों को जीनेभर का ही काम मिल जाएगा क्या?
पांच राफेल फाइटर जेट विमान अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर उतरे। यह अच्छा ही हुआ। लेकिन इससे पहले भी सुखोई से लेकर मिग तक कई फाइटर जेट विमान विदेशों से हम यहां लाए ही थे। उनका ऐसा, इतना उत्सव कभी नहीं मनाया गया। सुखोई मिलने से भी दुश्मनों पर हवाई हमले करके विजय हासिल की ही है। लेकिन लोगों को उत्सव, मेले की भांग पिलाकर मूल समस्याओं से दूर ले जाने की यह नीति चल रही है। बम और परमाणु शस्त्र वाहक राफेल विमान देश के सामने उपस्थित बेरोजगारी और आर्थिक चुनौतियों का विध्वंस करेगी क्या?
आज देश की आर्थिक और सामाजिक अवस्था निश्चित तौर पर कैसी है? एक वाक्य में कहें तो लोग खुद को ‘गुलाम’ की हैसियत से बेचने को तैयार हो जाएंगे। पहले फिजी, मॉरीशस, गयाना, सूरीनाम आदि तटों पर अंग्रेज, हिंदुस्थानियों को गुलाम बनाकर ले गए थे। वैसे ही ‘गुलाम’ बनकर जाने के लिए लोग तैयार हो जाएंगे। इसका एहसास हमारे शासकों को नहीं होगा तो उन्हें राफेल का त्योहार मनाते रहना चाहिए।
राजा को प्रजा के लिए व्याकुल रहना चाहिए। उत्सवों में मगन नहीं रहना चाहिए। दुनियाभर के दृश्य हताश करनेवाले हैं। लोगों का निश्चित तौर पर वैâसे चल रहा है? वे कैसे जी रहे हैं? स्थिति गंभीर है!