भारत के सबसे सफल रेलमंत्रियों में से एक लालू प्रसाद यादव बिहार के ही नहीं देश के भी बड़े राजनीतिज्ञों में गिने जाते हैं। बीते तीन दशक की बात करें तो लालू सत्ता में हो या ना हों लेकिन सूबे की सियासत इन्हीं के नाम के इर्द-गिर्द घूमती रही है। आइए डालते हैं लालू यादव के अब तक के सफर पर एक नजर।
यह भी पढ़ेंः PM Modi और सीएम योगी के बीच मुलाकात आज, इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा लालू प्रसाद यादव का जन्म 11 जून 1948 को बिहार के गोपालगंज में हुआ था। बिहार के एक गरीब परिवार से लेकर राजनीति के शिखर तक पहुंचने, शोहरत की बुलंदियों को छूकर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरने तक लालू का सफर काफी चुनौतियों भरा रहा है।
कॉलेज दिनों में चढ़ा राजनीति का रंग
लालू यादव ने शुरुआती शिक्षा बिहार में गोपालगंज से प्राप्त की। इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई के लिए वे पटना चले आए। राजनीति में रुचि के चलते ही लालू यादव ने पटना के बीएन कॉलेज से लॉ में स्नातक और राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
लालू यादव ने शुरुआती शिक्षा बिहार में गोपालगंज से प्राप्त की। इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई के लिए वे पटना चले आए। राजनीति में रुचि के चलते ही लालू यादव ने पटना के बीएन कॉलेज से लॉ में स्नातक और राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
लालू प्रसाद ने कॉलेज से ही अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत बतौर छात्र नेता के रूप में की। इसी दौरान वे जयप्रकाश नारायण की ओर से चलाए जा रहे आंदोलन का हिस्सा बन गए।
इसी दौरान जयप्रकाश नारायण, राजनारायण, कर्पुरी ठाकुर और सतेन्द्र नारायण सिन्हा जैसे राजनेताओं से मिलकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 29 की उम्र में लोकसभा में एंट्री
राजनीति के माहिर खिलाड़ी लालू यादव ने छोटी सी उम्र में बता दिया था कि वे इस क्षेत्र में कुछ बड़ा करने जा रहे हैं। 29 वर्ष की आयु में ही वे जनता पार्टी की ओर से 6ठी लोकसभा के लिए चुन लिए गए।
राजनीति के माहिर खिलाड़ी लालू यादव ने छोटी सी उम्र में बता दिया था कि वे इस क्षेत्र में कुछ बड़ा करने जा रहे हैं। 29 वर्ष की आयु में ही वे जनता पार्टी की ओर से 6ठी लोकसभा के लिए चुन लिए गए।
1990 में संभाली बिहार की कमान
लालू यादव ने राजनीति दांव पेंच के साथ ही बिहार की राजनीति में अपना वर्चस्व कायम करना शुरू कर दिया था। 10 मार्च 1990 को पहली बार वे बिहार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद दूसरी बार 1995 में भी वे सरकार बनाने में सफल रहे।
लालू यादव ने राजनीति दांव पेंच के साथ ही बिहार की राजनीति में अपना वर्चस्व कायम करना शुरू कर दिया था। 10 मार्च 1990 को पहली बार वे बिहार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद दूसरी बार 1995 में भी वे सरकार बनाने में सफल रहे।
1997 में लालू प्रसाद जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल पार्टी बनाकर उसके अध्यक्ष बने। आईईएम से लेकर हार्वर्ड तक चर्चा
2004 में हुए लोकसभा चुनाव में ये बिहार के छपरा संसदीय सीट से जीतकर केंद्र में यूपीए शासनकाल में रेलमंत्री बने। इस दौरान उन्होंने कई अहम काम किए जिसकी तारीफ भारत के साथ-साथ दुनिया के दूसरे देशों में भी हुई। आईआईएम से लेकर हार्वर्ड तक उनके काम और मैनेजमेंट स्किल्स की चर्चा हुई।
2004 में हुए लोकसभा चुनाव में ये बिहार के छपरा संसदीय सीट से जीतकर केंद्र में यूपीए शासनकाल में रेलमंत्री बने। इस दौरान उन्होंने कई अहम काम किए जिसकी तारीफ भारत के साथ-साथ दुनिया के दूसरे देशों में भी हुई। आईआईएम से लेकर हार्वर्ड तक उनके काम और मैनेजमेंट स्किल्स की चर्चा हुई।
लालू प्रसाद के बारे में
– 8 बार बिहार विधानसभा के सदस्य रह चुके
– 2004 में पहली बार बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने
– 2002 में छपरा संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में वे दूसरी बार लोकसभा सदस्य बने
– लालू प्रसाद अपने बोलने की शैली के लिए मशहूर हैं। इसी शैली के कारण लालू प्रसाद भारत सहित विश्व में भी अपनी विशेष पहचान बनाए हुए हैं।
– 8 बार बिहार विधानसभा के सदस्य रह चुके
– 2004 में पहली बार बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने
– 2002 में छपरा संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में वे दूसरी बार लोकसभा सदस्य बने
– लालू प्रसाद अपने बोलने की शैली के लिए मशहूर हैं। इसी शैली के कारण लालू प्रसाद भारत सहित विश्व में भी अपनी विशेष पहचान बनाए हुए हैं।
यह भी पढ़ेंः उद्धव ठाकरे की मुलाकात के बाद बदले राउत के सुर, कहा- पीएम मोदी के नेतृत्व में है दम वैवाहिक जीवन
लालू 1 जून 1973 को राबड़ी देवी से विवाह के बंधन बंधे। लालू प्रसाद की कुल 7 बेटियां और 2 बेटे तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव हैं। घोटाले में नाम
1997 में चारा घोटाले में नाम आने के बाद उन्होंने बिहार का सीएम पद अपनी पत्नी को सौंप दिया था और जेल चले गए थे। सितंबर 2013 में कोर्ट ने एक बार फिर उन्हे दोषी करार देते हुए पांच साल जेल की सजा सुनाई, लेकिन वो दिसंबर में दमानत पर छूट गए।
लालू 1 जून 1973 को राबड़ी देवी से विवाह के बंधन बंधे। लालू प्रसाद की कुल 7 बेटियां और 2 बेटे तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव हैं। घोटाले में नाम
1997 में चारा घोटाले में नाम आने के बाद उन्होंने बिहार का सीएम पद अपनी पत्नी को सौंप दिया था और जेल चले गए थे। सितंबर 2013 में कोर्ट ने एक बार फिर उन्हे दोषी करार देते हुए पांच साल जेल की सजा सुनाई, लेकिन वो दिसंबर में दमानत पर छूट गए।
वर्ष 2018 में कोर्ट ने अलग-अलग केसों में उन्हे सजा सुनाई। हालांकि फिलहाल वे जमानत पर बाहर हैं।