बेंगलूरु। कर्नाटक सियासी संकट में हर वक्त कुछ नया हो रहा है। राज्यपाल की ओर से बहुमत साबित करने के लिए मिली दूसरी डेडलाइन मिली है। कुमारस्वामी को अब शाम 6 बजे तक बहुमत साबित करना होगा।
वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री ने विश्वासमत साबित करने के लिए राज्यपाल की ओर से मिले दोपहर डेढ़ बजे तक के समय के खिलाफ मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने भी सर्वोच्च न्यायालय जाने की बात कही है।
राज्यपाल वजुभाई वाला ने सीएम एचडी कुमारस्वामी को एक और चिट्ठी लिखी है। राज्यपाल ने इस चिट्ठी में विश्वास मत के लिए वोट करने के लिए 6 बजे तक का वक्त दिया है।
इससे पहले भाजपा विधायक जेसी मधुस्वामी ने विधानसभा में कार्यवाही के दौरान कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के रवैये पर पलटवार किया। शुक्रवार को सदन की कार्यवाही के दौरान मधुस्वामी ने कहा कि विधानसभा का सत्र और सरकार का संचालन अलग-अलग मामले हैं।
जब सरकार का संचालन सही तरीके न हो, तो राज्यपाल का यह अधिकार है कि वह सरकार को किसी भी समय बहुमत साबित करने का निर्देश दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की ओर से मुख्यमंत्री को दिया गया पत्र सरकार को एक निर्देश है। यह अध्यक्ष की ओर से जारी पत्र से अलग है।
उन्होंने राज्यपाल की ओर से जारी दिशा निर्देशों को सही ठहराते हुए कहा कि उन्होंने दोपहर 1.30 बजे विभाजन के लिए कहा है। तब तक हम किसी अन्य चर्चा का विरोध नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि वह अब भी भगवान से एक ही सवाल पूछते हैं कि उन्हें ऐसी परिस्थितियों में कर्नाटक का सीएम क्यों बनाया?
2006 की बात कुछ और थी कुमारस्वामी ने कहा कि साल 2009 में जब उत्तरी कर्नाटक में बाढ़ आई थी तब येदियुरप्पा सरकार मुश्किल में फंस गई थी। उस वक्त उन्होंने भाजपा के आगे हाथ जोड़े थे कि उन्हें सीएम की कुर्सी से न हटाया जाए लेकिन इस बार मैं किसी के आगे हाथ नहीं जोडूंगा।
पहले दिन से सरकार गिराने में लगे हैं येदियुरप्पा उन्होंने सदन में भाजपा पर बहस से भागने का आरोप लगाया। सीएम ने कहा कि भाजपा कभी भी सीएम की कुर्सी ले सकती है। भाजपा आज भी सरकार बना सकती है और सोमवार को भी। कर्नाटक ( Karnataka Floor Test Latest News ) कांग्रेस-जेडीएस सरकार बनने के पहले दिन से ही येदियुरप्पा सरकार गिराने में लगे हैं।
कर्नाटक: 21 विधायक नहीं पहुंचे विधानसभा, कुमारस्वामी सरकार पर संकट और गहराया दूसरी तरफ वरिष्ठ वकील और कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल शुक्रवार को कर्नाटक में जारी सियासी संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर सकते हैं। कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के सीएम कुमारस्वामी और कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सिद्धारमैया की ओर से कपिल सिब्बल हलफनामा शीर्ष अदालत के सामने पेश करेंगे।
बता दें कि कर्नाटक संकट ( karnataka crisis ) पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला दो दिन पहले आने के बावजूद प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने को लेकर सियासी जंग जारी है। यह मामला अब पहले से ज्यादा दिलचस्प हो गया है।
सिद्धारमैया ने फंसाया पेच दूसरी तरफ कर्नाटक संकट ( Karnataka Crisis ) पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2 दिन पहले आने के बावजूद प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने को लेकर सियासी जंग जारी है। यह मामला अब पहले से ज्यादा दिलचस्प हो गया है।
यह मामला पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सिद्धारमैया के अड़ियल रुख की वजह से और ज्यादा पेचीदा हो गया है। सिद्धारमैया द्वारा विधानसभा स्पीकर केआर रमेश से पहले पार्टी व्हिप, विधायकों की योग्यता और सदस्यता पर निर्णय लेने की मांगकर सियासी जंग को नया मोड़ दे दिया। सिद्धारमैया के इस दांव से गुरुवार को विश्वास मत पर मतदान नहीं हो सका।
1.30 बजे तक विश्वासमत पर हो मतदान दूसरी तरफ राज्यपाल वजूभाई वाला ने एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार को बहुमत साबित करने के लिए आज यानी शुक्रवार दोपहर 1.30 बजे तक का समय दिया है। अब नजरें विधानसभा अध्यक्ष पर हैं कि वह आज भी शक्ति परीक्षण कराते हैं या नहीं।
भाजपा विधायकों का धरना जारी सिद्धारमैया के स्टैंड और स्पीकर केआर रमेश के अनिर्णय की वजह से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने विरोध किया। स्पीकर द्वारा गुरुवार को विश्वास मत पर मतदान न कराने के बाद भाजपा नेता व उनके विधायक रात भर विधानसभा के अंदर धरने पर बैठे रहे। उनका यह धरना सुबह में भी जारी है। भाजपा के सभी विधायक रात भर विधानसभा में रहे।
कर्नाटक विधानसभा में आज फैसले का दिन, जानिए किसने क्या कहासदन की कार्यवाही से दूर रहे 20 विधायक बता दें कि गुरुवार को विधानसभा की कार्यवाही में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन और बसपा के 20 विधायक नहीं पहुंचे। इन विधायकों के नहीं पहुंचने से सत्ताधारी पार्टी के लिए मतदान कराना संभव नहीं रहा।
मतदान होने की स्थिति में सरकार का गिरना तय था। इसलिए कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने पार्टी व्हिप और विधायकों की योग्यता और सदस्यता का मसला उठाकर पेंच फंसा दिया। परिणाम यह निकला कि गुरुवार को राज्यपाल का संदेश मिलने के बाद भी मतदान कराना संभव नहीं हो सका।