जिस तरह से मोदी कैबिनेट में कई बड़े-बड़े मंत्रियों की कुर्सी छिनी गई, ठीक उसी तरह अब कर्नाटक में भी देखने को मिल सकता है। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व प्रेदश में कई सीनियर मंत्रियों को हटाना चाहती है। जानकारी के अनुसार, केंद्रीय नेतृत्व इस रणनीति पर काम कर रही है कि जो भी नेता व मंत्री विवादों में घिरे रहे हैं या फिर जिनका जनाधार कमजोर है, उन सभी को कैबिनेट से हटाया जाए।
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इसके अलावा, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व राज्य के तीन उपमुख्यमंत्रियों गोविंद काराजोल, अश्वथ नारायण और लक्ष्मण संगप्पा सावदी में से किन्हीं दो को हटाना चाहती है और जनजाति समुदाय से आने वाले किसी विधायक को उप मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। माना जा रहा है कि यह सबकुछ आगामी लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किया जा रहा है।
येदियुरप्पा समर्थक विधायकों में हलचल
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के फैसले को देखते हुए अब येदियुरप्पा समर्थक विधायकों और मंत्रियों में हलचल तेज हो गई है। माना जा रहा है कि ऐसे 12 विधायक हैं जिनपर गाज गिर सकती है। कई ऐसे मंत्री भी हैं जिनके कामकाज को लेकर सवाल खड़े हुए और उनके प्रदर्शन भी बेहतर नहीं रहा है। अब उन सभी की छुट्टी हो सकती है।
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सूत्रों के मुताबिक, एक-दो दिन के भीतर पार्टी नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कर सकती है। इसमें नए सीएम के तौर पर कर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई, कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष विश्वेश्वरा हेगड़े कगेरी और केंद्रीय कोयला खनन मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्रलाद जोशी का नाम सबसे आगे है।
इस बीच अरुण सिंह और धर्मेंद्र प्रधान को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है, जो जल्दी ही बेंगलुरु का दौरा करेंगे और नए सीएम को चुनने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे। ऐसा माना जा रहा है कि उत्तराखंड की तरह ही कर्नाटक में भी केंद्रीय नेतृत्व किसी नए चेहरे को सीएम बनाकर चौंका सकती है।