कर्नाटक क्राइसिस: सियासी जंग का अखाड़ा बना मुंबई, डीके शिवकुमार के खिलाफ लगे Go Back के नारे
कांग्रेस के संकटमोचक पर Karnataka Crisis की जिम्मेदारी
डीके शिवकुमार होटल रेनिसंस में बागी MLAs से मिलने पहुंचे
Congress के डीके को इस बार दिखाना होगा सियासी कमाल
कर्नाटक क्राइसिस: सियासी जंग अखाड़ा बना मुंबई, डीके शिवकुमार के खिलाफ लगे ‘गो बैक’ के नारे
नई दिल्ली। करीब 15 महीने पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ( Congress-JDS Coalition ) की सरकार बनवाकर डीके शिवकुमार राहुल गांधी के आंखों के तारे बने थे। कर्नाटक के उसी कद्दावर नेता डीके के ऊपर पार्टी की ओर से एक बार फिर कर्नाटक क्राइसिस ( karnataka crisis ) से पार पाने की जिम्मेदारी आ गई है। लेकिन इस बार उनके सामने विरोधियों की ओर से तैयार सियासी अखाड़ा मुंबई में जंग जीतने की चुनौती है।
बागियों से मिलना आसान नहीं कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ( Congress-JDS Coalition ) की सरकार बचाने के लिए इस बार भी पार्टी ने उन्हें कर्नाटक क्राइसिस ( Karnataka Crisis ) से बाहर निकालने की जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस के संकटमोचक बागी विधायकों को मनाने के लिए मुंबई स्थित रेनिसंस होटल पहुंच गए हैं। लेकिन होटल के गेट पर जेडीएस के बागी विधायक नारायण गौड़ा के समर्थक डीके शिवकुमार के खिलाफ “गो बैक, गो बैक … के नारे लगा रहे हैं।
देखना यह है कि विरोधियों की पिच और प्रतिकूल सियासी माहौल में डीके शिवकुमार ( DK Shivkumar ) इस जंग को जीतकर पार्टी हाईकमान के तारे बनते हैं या फिर उन्हें सियासी हार का मुंह देखना पड़ेगा।
यह चुनौती कांग्रेस के नेता और कर्नाटक सरकार में कबीना मंत्री डीके शिवकुमार (DK Shivkumar ) के लिए कठिन इसलिए है कि बागी विधायक मुंबई के रेनिसंस होटल में ठहरे हुए हैं। महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना ( BJP-SHIVSENA) की सरकार है। सीएम देवेंद्र फडणवीस जैसे नेता डीके की वहां पर चलने देंगे, इसकी गुंजाइश बहुत कम है।
फिर महाराष्ट्र सरकार ने होटल के इर्द-गिर्द सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। इसलिए होटल पहुंचने के बाद भी उनका बागी विधायकों से मिलना आसान नहीं होगा। 2018 में येदियुरप्पा को दी थी सियासी मात
दरअसल, कर्नाटक में भाजपा के कद्दावर नेता व पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ( Former Chief minist bs yediyurappa ) को सियासी मात देकर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने चुनाव बाद गठजोड़ के आधार पर सरकार बनाई थी। लेकिन सवा साल पूरा होने से पहले ही ये सरकार आपसी अंतर्विरोध की वजह से गिरने के कगार पर पहुंच गई है।
हालात ये हैं कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ( Congress-JDS Coalition ) के 14 बागी जनप्रतिनिधि विधायकी से इस्तीफा दे चुके हैं। कांग्रेस विधायक की ओर से इस्तीफे की घोषणा होने की संभावना है। इसके अलावा सात कांग्रेस विधायकों के पाले बदलने की संभावना है। ऐसे में कांग्रेस-जेडीएस सरकार का कर्नाटक में बने रहना बहुत मुश्किल हो सकता है।
विधानसभा अध्यक्ष के रुख से फंसा पेच पिछले पांच दिनों से जारी सियासी जंग में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन इस बार कमजोर नजर आ रही है। हालांकि विधानसभा के अध्यक्ष ने बागी विधायकों के इस्तीफे को फिलहाल स्वीकार करने से इनकार कर कर्नाटक क्राइसिस ( Karnataka Crisis ) मामले में कानूनी पेच फंसा दिया है।
विधानसभा अध्यक्ष के रमेश के इस रुख से अब भाजपा के लिए भी मुंबई करे सियासी जंग का आखाड़ा बनाने के बावजूद जीत हासिल करना ना आसान नहीं होगा। ऐसा इसलिए कि अब बागी विधायकों को के रमेश के दफ्तर पहुंचकर यह बताना होगा वो इस्तीफा क्यों दे रहे हैं।
विधानसभा अध्यक्ष के इस सियासी दांव की वजह से कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ( Congress-JDS Coalition ) को स्थितियों को अपने पक्ष में करने के लिए करीब एक सप्ताह का समय मिल गया है। अगर इस दौरान कांग्रेस-जेडीएस के नेता किसी तरह बागी विधायकों को अपने पाले में लाने में सफल हो जाते हैं तो एक बार फिर भाजपा को सियासी हार का सामना करना पड़ समता है।
नतीजा कुछ भी संभव फिलहाल सियासी जंग लंबा खिचता नजर आने लगा है और इसका नतीजा कुछ भी निकल सकता है। ऐसा इसलिए कि कांग्रेस के बागी जनप्रतिनिधियों ने भले ही विधायकी का इस्तीफा दे दिया हो, लेकिन उसे स्वीकार या अस्वीकार करना विधानसभा अध्यक्ष के हाथ में है।
अगर कर्नाटक क्राइसिस ( Karnataka Crisis ) मामले में डीके शिवकुमार इस बार भी बाजी मार ले गए तो एक बार फिर न केवल पार्टी हाईकमान के तारे बनेंगे बल्कि दक्षिण भारत के एक कद्दावर नेता के रूप में उभरकर सामने आएंगे।
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