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राज्यों में पार्टी को विस्तार करने की रणनीति
सियासी गलियारों में अटकलें थीं कि जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फैसला लिया जा सकता है कि पार्टी झारखंड में अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ सकती है। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) ने तीन अन्य राज्यों (हरियाणा, दिल्ली और जम्मू कश्मीर) में भी अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर सभी को चौंका दिया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि लोकसभा चुनाव में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला है। इसमें घटक दलों की अहम भूमिका है। घटक दलों के परिणाम से आज एनडीए इस स्तर पर पहुंचा है। अब जेडीयू विधानसभा चुनावों में अपना विस्तार करने पर विचार कर रही है।
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2020 में बिहार में NDA खेमे से लड़ेंगे चुनाव- त्यागी
मोदी सरकार में जगह नहीं मिलने पर जेडीयू ने अपना संकेत दे दिया है। पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार ने साफ कर दिया कि वह सरकार में नहीं रहेंगे, लेकिन NDA का हिस्सा बने रहेंगे? राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव एनडीए खेमे से लड़ेंगे।
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राष्ट्रीय पार्टी बनाने की कवायद
मोदी मंत्रिमंडल में जेडीयू को शामिल नहीं होने को लेकर त्यागी ने कहा यह कोई मुद्दा ही नहीं है। जनता दल यू ने कभी इसमें हिस्सेदारी नहीं मांगी थी। उन्होंने कहा कि जेडीयू को अन्य राज्यों में विस्तार करने के पीछे जो मकसद है वह है राष्ट्रीय पार्टी बनाना। बैठक में 2020 तक इसका लक्ष्य तय किया गया। इसी लिए हमने चार राज्यों में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
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प्रशांत किशोर की एजेंसी से जेडीयू का लेना-देना नहीं
बैठक में जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी मौजूद रहे। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद सुर्खियों में आएं प्रशांत किशोर कार्यकारिणी बैठक में नीतीश कुमार के बगल में बैठे हुए थे। गौरतलब है कि ममता बनर्जी से प्रशान्त किशोर की मुलाकात के बाद सियासी अटकलें तेज हो गई कि पीके अब पार्टी छोड़ देंगे।
पीके के विवाद पर शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि यह वही बताएंगे कि वह ममता बनर्जी से क्यों मिले। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार साफ कर चुके हैं कि प्रशांत किशोर की एजेंसी से जेडीयू का कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर की एजेंसी किस राज्य में किस पार्टी के लिए चुनावी रणनीति बनाती है, इससे पार्टी का कोई लेना देना नहीं।
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भाजपा-जेडीयू में अनबन की स्थिति
जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में विधानसभा चुनाव अलग लड़ने का फैसला उस वक्त लिया गया है जब मोदी कैबिनेट में जेडीयू के एक भी सांसद को मंत्री नहीं बनाया गया। सरकार में जेडीयू को शामिल नहीं करने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नाराजगी जाहिर की थी।
हालांकि नीतीश कुमार मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे। कैबिनेट में जेडीयू को जगह नहीं मिलने पर नीतीश ने साफ कर दिया था कि जेडीयू एनडीए का हिस्सा है लेकिन सरकार का नहीं। मोदी के शपथ समारोह के चार दिन बाद नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया जिसमें भाजपा विधायकों को शामिल नहीं किया।
इन सभी को देखते हुए सियासी गलियारों में चर्चा है कि भाजपा और जेडीयू के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। गौरतलब है कि बिहार में भाजपा और जेडीयू ने साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा है। जिसमें भाजपा को 17 सीटें और जेडीयू को 16 सीटें मिली हैं।