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जम्मू-कश्मीर: विधानसभा भंग होने के बाद जानें कब होंगे राज्य में चुनाव?

जम्मू कश्मीर में राज्यपाल द्वारा विधानसभा भंग करने के साथ ही सरकार बनाने की सभी संभावनाएं खत्म हो गई हैं। अब एक नया सवाल उठने लगा है कि आखिर राज्य में अब कह चुनाव होंगे।

Nov 21, 2018 / 10:00 pm

Kapil Tiwari

Jammu Kashmir

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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में बुधवार को बड़ा सियासी उलटफेर हो गया। पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस पार्टी के बीच गठबंधन की खबरों के बीच राज्यपाल ने विधानसभा को ही भंग कर दिया है। अब ऐसे में कोई भी राजनीतिक दल राज्य में सरकार बनाने की सोच भी नहीं सकता। राज्यपाल के इस कदम के बाद नए सिरे से चुनाव होंगे और नई सरकार का गठन होगा।
2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही हो सकते हैं चुनाव

अब ऐसे में ये भी सवाल खड़े हो गए हैं कि राज्य में कितनी जल्दी चुनाव कराए जा सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में ये कयास लगाए जाने शुरू हो गए हैं कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ ही जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव होना संभव है। हालांकि अभी चुनाव आयोग की तरफ से इस तरह का कोई इशारा नहीं दिया गया है, लेकिन परिस्थितियों को देखा जाए तो राज्य के हालातों को काबू करने के लिए एक नई सरकार का होना बहुत जरूरी है और ये काम नए सिरे से चुनाव होने के बाद ही संभव होगा तो ऐसे में लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्य में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं।
विपक्षी पार्टियों के पास है कानूनी रास्ता

हालांकि विपक्षी पार्टियों के पास चुनाव ना कराकर कानूनी रास्ते के जरिए राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने का भी विकल्प है, लेकिन किसी भी दल की तरफ से अभी तक इस तरह की कोई बात नहीं की गई है, जिससे साफ है कि सभी पार्टियां अब चुनाव में ही उतरेंगी और 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्य में चुनाव कराए जा सकते हैं।
सरकार बनाने के पेश हुए थे दो दावे

आपको बता दें कि बुधवार को पीडीपी ने 56 विधायकों का समर्थन पत्र राजभवन भेजा था, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर नई सरकार के गठन का प्रस्ताव रखा था। वहीं दूसरी तरफ पीडीपी के विधायक इमरान अंसारी ने बागी तेवर दिखाते हुए ये दावा कर दिया था कि उनके पास पीडीपी के 18 विधायकों का समर्थन है, जिसके बाद सरकार बनाने के दो दावे हो गए थे। ऐसी स्थिति को देखते हुए राज्यपाल ने विधानसभा को ही भंग कर दिया।
विपक्षी दलों के कई नेताओं ने राज्यपाल के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि हमारी कोशिशों से बीजेपी डर गई, जिसकी वजह से ये कदम लेने के लिए राज्यपाल को मजबूर किया गया।

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