पार्टी अध्यक्ष ने चुनाव के मद्देनजर सभी राज्यों के नेताओं को बुलाया गया है। बैठक में पहले दिन यानी की 6 जुलाई को बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम के नेताओं को बुलाया गया है। इन सभी 12 राज्यों को मिलाकर लोकसभा की कुल 142 सीटें आती है। पार्टी 2019 में इन 142 सीटों में से 95 सीटें जीतने में कामयाब थी। लेकिन अब हालात बदल चुके है। बिहार में भाजपा जेडीयू अलग है। इसलिए पार्टी बिहार में होने वाले नुकसान को इन राज्यों से पूरा करना चाहती है।
आज पूर्वोत्तर और बिहार, झारखंड के नेताओं के साथ बैठक करने के बाद पार्टी अध्यक्ष J P नड्डा कल जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, राजस्थान, गुजरात, दमन एवं दीव, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़ और हरियाणा के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। बता दें अगर पंजाब को छोड़ दे तो पार्टी पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें इन्हीं राज्यों में जीती थी और भाजपा की तैयारी देखकर लगता नहीं है कि पार्टी किसी भी हालत में इन राज्यों में विपक्ष को थोड़ा भी ऐज देने के मूड में नहीं है।
वहीं, दो दिनों की बैठक के बाद J P नड्डा 8 जुलाई को कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, पुडुचेरी, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, अंडमान और लक्षद्वीप के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। पार्टी 2019 के आम चुनाव में अगर कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा को छोड़ दे तो कोई खास कमाल नहीं कर पाई थी। इसके साथ ही भाजपा अब तक दक्षिण में कर्नाटक को छोड़ किसी भी राज्य में अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई है।
सूत्रों के मुताबिक भाजपा इस बैठक में 2024 को लेकर अपना रोडमैप रख सकती है। सभी प्रदेश के नेताओं को उनकी जरूरत के हिसाब से प्रचार अभियान के लिए संसाधन मुहैया कराने के साथ ही अपने स्टार प्रचारकों की मौजूदगी को बढ़ा सकती है। वैसे भी एक साल के भीतर दो राज्य (हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक) को गंवाने के बाद पार्टी किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती है।