इस अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ जनक राज ने उनके निधन की पुष्टि की। इससे पहले सोमवार को हार्ट अटैक आने के बाद वीरभद्र सिंह को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था।
यह भी पढ़ेँः मीडिया को दबाने वाले नेताओं में किम जोंग उन और इमरान खान सबसे आगे, लिस्ट में पीएम मोदी का नाम भी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ जनक राज के मुताबिक पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सुबह करीब 4 बजे मल्टी-ऑर्गन फेल्योर की वजह से निधन हो गया। उन्होंने बताया कि 87 वर्षीय वीरभद्र सिंह पहले कोरोना से भी संक्रमित हो चुके थे। उन्होंने दो बार कोरोना को मात दी थी।
कोरोना संक्रमण के चलते वीरभद्र सिंह को 13 अप्रैल को पहली बार मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान उन्होंने कोरोना को मात दे दी थी। हालांकि 11 जून को एक बार फिर वे कोरोना से संक्रमित हो गए। जिसके बाद उनकी तबीयत अक्सर खराब रहने लगी।।
हालांकि एक बार फिर उन्होंने कोरोना को मात दी और अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर लौट गए थे। लेकिन उनकी तबीयत खराब ही रहने लगी। लिहाजा हाल में उन्हें एक बार फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह बीते दो दिनों से वेंटिलेटर पर थे।
6 बार रहे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री
वीरभद्र सिंह की राजनीतिक पारी की बात करें तो वे हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जबकि 09 बार विधायक रहे। अपने राजनीतिक सफर में उनकी सफलता के ग्राफ का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिमाचल प्रदेश में उनका राजनीतिक कद कितना बड़ा था। यही नहीं वीरभद्र सिंह पांच बार सांसद भी रहे।
वीरभद्र सिंह की राजनीतिक पारी की बात करें तो वे हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जबकि 09 बार विधायक रहे। अपने राजनीतिक सफर में उनकी सफलता के ग्राफ का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिमाचल प्रदेश में उनका राजनीतिक कद कितना बड़ा था। यही नहीं वीरभद्र सिंह पांच बार सांसद भी रहे।
ऐसा रहा सीएम बनने का सफर
वीरभद्र सिंह की मुख्यमंत्री बनने के सफर पर नजर डालें तो सबसे पहले वे 1983 से 1985 में सीएम बने, इसके बाद 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 में तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन चौथी बार, फिर 2003 से 2007 पांचवीं बार और 2012 से 2017 छठी बार मुख्यमंत्री बने। लोकसभा के लिए वह पहली बार 1962 में चुने गए।
वीरभद्र सिंह की मुख्यमंत्री बनने के सफर पर नजर डालें तो सबसे पहले वे 1983 से 1985 में सीएम बने, इसके बाद 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 में तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन चौथी बार, फिर 2003 से 2007 पांचवीं बार और 2012 से 2017 छठी बार मुख्यमंत्री बने। लोकसभा के लिए वह पहली बार 1962 में चुने गए।
सिंह ने पहला चुनाव महासू लोकसभा सीट से लड़ा था। वहीं लोकसभा के लिए वीरभद्र सिंह 1962, 1967, 1971, 1980 और 2009 में चुने गए। वर्तमान में वीरभद्र सिंह अर्की से विधायक थे। इंदिरा गांधी की सरकार में वीरभद्र सिंह दिसंबर 1976 से 1977 तक केंद्रीय पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री रहे।
जबकि दूसरी बार भी वह इंदिरा सरकार में ही 1982 से 1983 तक केंद्रीय उद्योग राज्यमंत्री रहे। यह भी पढ़ेँः दिलीप कुमार के निधन पर राष्ट्रपति से लेकर पीएम मोदी तक जानिए तमाम नेताओं को क्या कहा
मनमोहन सरकार भी अहम जिम्मेदारी
वीरभद्र सिंह को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व की केंद्र की यूपीए सरकार में अहम जिम्मेदारी मिली। सिंह 28 मई 2009 से लेकर 18 जनवरी 2011 तक कैबिनेट मंत्री रहे।
वीरभद्र सिंह को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व की केंद्र की यूपीए सरकार में अहम जिम्मेदारी मिली। सिंह 28 मई 2009 से लेकर 18 जनवरी 2011 तक कैबिनेट मंत्री रहे।
रोहडू विधानसभी सीट से लड़े चुनाव
अपने घर रामपुर की सीट के अनारक्षित होने के कारण वह कभी भी यहां से चुनाव नहीं लड़ पाए। यही वजह रही कि उन्होंने अपने ज्यादातर चुनाव रोहडू से ही लड़े। हालांकि 2012 में ये सीट आरक्षित हो गई तो उन्होंने शिमला ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ा जो बाद में बेटे विक्रमादित्य को दे दी और खुद ने अर्की से चुनाव लड़ा।
अपने घर रामपुर की सीट के अनारक्षित होने के कारण वह कभी भी यहां से चुनाव नहीं लड़ पाए। यही वजह रही कि उन्होंने अपने ज्यादातर चुनाव रोहडू से ही लड़े। हालांकि 2012 में ये सीट आरक्षित हो गई तो उन्होंने शिमला ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ा जो बाद में बेटे विक्रमादित्य को दे दी और खुद ने अर्की से चुनाव लड़ा।
परिवार में सदस्य
वीरभद्र सिंह के परिवार में पत्नी प्रतिभा सिंह, पुत्र एवं शिमला ग्रामीण से विधायक विक्रमादित्य सिंह और पुत्री अपराजिता सिंह हैं।
वीरभद्र सिंह के परिवार में पत्नी प्रतिभा सिंह, पुत्र एवं शिमला ग्रामीण से विधायक विक्रमादित्य सिंह और पुत्री अपराजिता सिंह हैं।