रावत यहां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ( Amrinder Singh ) और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu ) से मुलाकात करेंगे। यही नहीं इस दौरान रावत डैमेज कंट्रोल के लिए अन्य बागी मंत्रियों और विधायकों से भी मिलकर उनकी समस्या दूर करने की कोशिश करेंगे।
यह भी पढ़ेंः सिद्धू गुट ने कैप्टन के बाद हरीश रावत के खिलाफ भी खोला मोर्चा, परगट सिंह बोले- बड़े फैसले लेने का अधिकार उन्हें किसने दिया परगट के बयान से मची हलचल
नवजोत सिंह सिद्धू लगातार मुख्यमंत्री के कामकाज की शैली पर बयानबाजी कर रहे हैं। अपनी ही सरकार को लेकर उनके बयानों से कैप्टन काफी आहत हैं, हालांकि हरीश रावत के बयान के बाद उनके खेमे में खुशी है। दरअसल रावत अपने बयान में कैप्टन को चुनाव का नेतृत्व सौंपा था।
नवजोत सिंह सिद्धू लगातार मुख्यमंत्री के कामकाज की शैली पर बयानबाजी कर रहे हैं। अपनी ही सरकार को लेकर उनके बयानों से कैप्टन काफी आहत हैं, हालांकि हरीश रावत के बयान के बाद उनके खेमे में खुशी है। दरअसल रावत अपने बयान में कैप्टन को चुनाव का नेतृत्व सौंपा था।
रावत के इस बयान पर सिद्धू के करीबी परगट सिंह की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई थी। रविवार को परगट सिंह ने कहा था कि रावत के पास ये अधिकार नहीं है कि वे चुनाव का नेतृत्व किसी एक नेता को सौंप सकें। परगट ने कहा कि जब वे खड़गे कमेटी के सामने पेश हुए थे, तब ये कहा गया था कि चुनाव संबंधी घोषणा का अधिकार सिर्फ सोनिया गांधी के पास है।
रावत ने दी सफाई
परगट सिंह के इस बयान से एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस में हलचल तेज हो गई, लिहाजा हरीश रावत ने अगले ही दिन यानी सोमवार को साफ कर दिया कि पंजाब चुनाव के लिए स्थानीय स्तर के कई चेहरे हैं, रावत ने इन चेहरों में परगट सिंह के नाम का भी जिक्र कर डाला।
परगट सिंह के इस बयान से एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस में हलचल तेज हो गई, लिहाजा हरीश रावत ने अगले ही दिन यानी सोमवार को साफ कर दिया कि पंजाब चुनाव के लिए स्थानीय स्तर के कई चेहरे हैं, रावत ने इन चेहरों में परगट सिंह के नाम का भी जिक्र कर डाला।
यही नहीं हरीश रावत ने ये भी कहा कि चुनाव सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नाम पर लड़ा जाएगा। जबकि स्थानीय चेहरों में कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू को आगे किया जाएगा।
यह भी पढ़ेंः पश्चिम बंगाल में BJP को बड़ा झटका, विधायक तन्मय घोष TMC में शामिल बहरहाल चुनाव का समय नजदीक आ रहा है। कांग्रेस आलाकमान के लिए ये बहुत जरूरी है कि इस अंदरुनी कलह के जल्द से जल्द खत्म कर लिया जाए। वरना इसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।