एक शख्स की गुलाम नहीं हो सकती पार्टी
इसके साथ ही हरीश रावत ने यह भी साफ कर दिया कि अगर प्रशांत किशोर पार्टी में शामिल हो भी जाते हैं उसके बाद भी वो कांग्रेस पर दवाब नहीं बना सकते कि पार्टी में इसी तरह से काम होना चाहिए। इसकी वजह बताते हुए हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस सैकड़ों कार्यकर्ताओं से बनती है, ऐसे में पार्टी किसी एक शख्स की गुलाम नहीं हो सकती है। जनता के मुद्दों पर पार्टी हमेशा आवाज उठाती रहेगी।
इसके साथ ही हरीश रावत ने यह भी साफ कर दिया कि अगर प्रशांत किशोर पार्टी में शामिल हो भी जाते हैं उसके बाद भी वो कांग्रेस पर दवाब नहीं बना सकते कि पार्टी में इसी तरह से काम होना चाहिए। इसकी वजह बताते हुए हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस सैकड़ों कार्यकर्ताओं से बनती है, ऐसे में पार्टी किसी एक शख्स की गुलाम नहीं हो सकती है। जनता के मुद्दों पर पार्टी हमेशा आवाज उठाती रहेगी।
प्रशांत किशोर की कांग्रेस पर टिप्पणी
बता दें कि एक कार्यक्रम में बोलते हुए रावत ने प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने के सवाल पर यह बात कही है। हरीश रावत ने कहा कि सभी जानते हैं कि पीके अपने क्षेत्र में जानकार हैं और इससे कांग्रेस को भी फायदा हो सकता है, लेकिन कांग्रेस में शामिल होने से पहले उन्हें पार्टी के फैसलों पर कोई टिप्पणी करनी चाहिए। बता दें कि लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद प्रियंका गांधी के वहां पहुंचने पर प्रशांत किशोर ने कहा था कि कांग्रेस की जड़ों तक समस्या पहुंच चुकी है।
बता दें कि एक कार्यक्रम में बोलते हुए रावत ने प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने के सवाल पर यह बात कही है। हरीश रावत ने कहा कि सभी जानते हैं कि पीके अपने क्षेत्र में जानकार हैं और इससे कांग्रेस को भी फायदा हो सकता है, लेकिन कांग्रेस में शामिल होने से पहले उन्हें पार्टी के फैसलों पर कोई टिप्पणी करनी चाहिए। बता दें कि लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद प्रियंका गांधी के वहां पहुंचने पर प्रशांत किशोर ने कहा था कि कांग्रेस की जड़ों तक समस्या पहुंच चुकी है।
यह भी पढ़ें: हत्या के बाद सिंघु बॉर्डर को खाली करने की उठी मांग, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला इस दौरान हरीश रावत ने टीएमसी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी की पार्टी कांग्रेस नेताओं को लालच देकर इसे कमजोर करने की कोशिश कर रही है। पश्चिम बंगाल एक तरह बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की बात करती हैं और दूसरी ओर अपने फायदे के लिए पार्टियों को कमजोर कर रही हैं। ममता बनर्जी की इस रणनीति से विपक्ष कभी एकजुट और मजबूत हो ही नहीं सकती है।