यह नहीं शपथ समारोह से पहले सुबह से ही भूपेंद्र पटेल काफी एक्टिव नजर आए। नितिन पटेल से मुलाकात से लेकर पूर्व सीएम विजय रुपाणी से भी मिले। इसके बाद भूपेंद्र पटेल ने शपथ लेने से पहले गौ पूजा भी की।
भूपेन्द्र पटेल सोमवार को अकेले ही शपथ लेंगे। शपथ लेने से पहले भूपेंद्र पटेल उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल से मिलने उनके निवास पर पहुंचे। दरअसल नितिन पटेल भी सीएम पद की रेस में आगे चल रहे थे। ऐसे में माना जा रहा है उनका नाम कटने पर वे कुछ नाराज हैं, लिहाजा भूपेंद्र पटेल उन्हें मनाने के लिए उनके निवास पहुंचे। हालांकि यहां दोनों की मुलाकात काफी गर्मजोशी के साथ हुई।
यह भी पढ़ेंः
Gujarat : भूपेंद्र पटेल होंगे गुजरात के अगले सीएम, मोदी और शाह के हैं करीबी भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में लड़ेंगे चुनावभूपेंद्र पटेल से मुलाकात के बाद नितिन पटेल ने कहा, बीजेपी विधानसभा का आगामी चुनाव भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में ही लड़ेगी। हम सब उनके साथ हैं। माना जा रहा है कि भूपेंद्र पटेल ने डिप्टी सीएम नितिन पटेल से मिलकर उनकी नाराजगी को भी दूर कर दिया है।
भूपेंद्र पटेल ने रविवार को राजभवन में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। पत्नी बोली घर में दिवाली जैसा माहौल
भूपेंद्र पटेल को बतौर मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद से ही उनके घर में जश्न का माहौल है। उनकी पत्नी हेतल पटेल ने कहा कि, घर में दिवाली जैसा माहौल है।
परिवार और आस-पड़ोस के सब लोग बहुत खुश हैं। जिस तरह से वो काम करते थे उससे हमें लगता था कि उनको पार्टी कोई बड़ी ज़िम्मेदारी देंगी, लेकिन हमें मुख्यमंत्री पद की उम्मीद नहीं थी।
55 साल के भुपेंद्र पटेल को अहमदाबाद में सर्वसम्मति से बीजेपी विधायक दल का नेता चुन लिया गया था। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने पटेल के नाम का प्रस्ताव रखा। 182 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 112 विधायकों में से अधिकतर बैठक में उपस्थित थे।
यह भी पढ़ेँः
युवावस्था में ही जुड़ गए थे राजनीति से, अब बनेंगे गुजरात के सीएम, जानिए कौन हैं भूपेन्द्र भाई पटेल भूपेंद्र पटेल को सरल और सहज कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने नगर पालिका स्तर के नेता से लेकर प्रदेश की राजनीति में शीर्ष पद तक का सफर तय किया है। पटेल को आरएसएस ( Bhupendra Patel RSS ) का भी करीबी माना जाता है।
2017 में पहली बार राज्य की घाटलोडिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और 1.17 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की, जो उस चुनाव में एक रिकॉर्ड था।