पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद उनका मननुटाव चल रहा था। अमरिंदर सिंह के बाद कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया था, उनके खिलाफ सुनील जाखड़ ने कई बार बयान दिए। जिससे कांग्रेस भी उनसे नाराज चल रही थी। हालांकि पंजाब चुनाव के समय राहुल गांधी ने सुनील जाखड़ को मनाने की भरसक कोशिश की थी। लेकिन वो असफल रहे।
पंजाब चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद सुनील जाखड़ ने चरणजीत सिंह चन्नी की खुलकर आलोचना की थी। जिसके बाद सुनील जाखड़ को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण 26 अप्रैल को कांग्रेस की AICC के अनुशासत्मक पैनल ने दो साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बाद से ही उनके पार्टी छोड़ने की बात शुरू हो गई थी। 14 मई को उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।
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भाजपा में शामिल होने के कारण सुनील जाखड़ ने कहा कि मेरी तीनी पीढ़ी का कांग्रेस से 50 साल तक रिश्ता रहा। उसे छोड़ने का फैसला लेना आसान काम नहीं था। लेकिन पंजाब में राष्ट्रवाद, एकता और भाईचारे के मुद्दे पर मैंने बीजेपी में शामिल होने का फैसला लिया। कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी नेतृत्व ने खुले दिल से बुलाया, तो मैंने भी बीजेपी में शामिल होने का मन बना लिया। सुनील जाखड़ ने आगे कहा कि मैंने निजी स्वार्थ के लिए राजनीति नहीं की।