वहीं, अब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बड़ी बात कही है। शुक्रवार को एक बयान में मनमोहन सिंह ने कहा कि आने वाला वक्त बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। 1991 के ऐतिहासिक बजट के 30 साल पूरा होने के विशेष मौके पर मनमोहन सिंह ने कहा कि कोविड की वजह से पैदा हुए हालात के कारण आगे का रास्ता काफी चुनौतीपूर्ण दिखाई पड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि एक राष्ट्र के तौर पर भारत अपनी प्राथमिकताओं को फिर से निर्धारित करे, जिससे चुनौतीपूर्ण हालातों से निपटा जा सके।
Manmohan Singh Birthday: पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को दी मजबूती, जानें उनसे जुड़ी रोचक बातें
आपको बता दें कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने तत्काली प्रधानमंत्री नरसिंम्हा राव के कार्यकाल में बतौर वित्त मंत्री 24 जुलाई, 1991 को अपना पहला बजट पेश किया था। आजाद भारत में इस बजट को देश की आर्थिक उदारीकरण की बुनियाद माना जाता है।
कांग्रेस ने डाली मजबूत अर्थव्यवस्था की नींव: मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था की नींव डाली है। 30 साल पहले 1991 में कांग्रेस पार्टी ने भारत की अर्थव्ध्यवस्था के महत्वपूर्ण सुधारों की शुरुआत की थी और देश की आर्थिक नीति के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त किया था। इसके बाद से पिछले तीन दशकों में अलग-अलग सरकारों ने उन नीतियों का अनुसरण करते हुए देश की अर्थव्यवस्था को तीन हजार अरब डॉलर तक पहुंचाया। आज यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
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उन्होंने आगे कहा कि हमारे लिए गर्व का विषय है कि इन तीन दशकों में करीब 30 करोड़ नागरिक गरीबी से बाहर निकले और करोड़ों नई नौकरियों का सृजन हुआ। मनमोहन सिंह ने आगे कहा, ‘‘मैं सौभाग्यशाली हूं कि मैंने कांग्रेस में कई साथियों के साथ मिलकर सुधारों की इस प्रक्रिया में भूमिका निभाई। मुझे इस बात कि खुशी और गर्व है कि पिछले तीन दशकों में हमारे देश ने शानदार आर्थिक प्रगति की है। लेकिन अब कोविड की वजह से तो तबाही हुई है, उससे काफी दुखी हूं।
आने वाला है 1991 से भी कठिन चुनौती
अभी का समय आनंदित और मग्न होने का नहीं है, बल्कि आत्ममंथन और विचार करने का समय है, क्योंकि यहां से अब आगे का रास्ता 1991 के संकट की तुलना में बहुत अधिक चुनौतीपूर्ण है। एक राष्ट्र के तौर पर हमें अपनी प्राथमिकताओं को फिर से निर्धारित करने की जरूरत है।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा, ‘‘1991 में मैंने एक वित्त मंत्री के तौर पर विक्टर ह्यूगो (फ्रांसीसी कवि) के कथन का उल्लेख किया था कि ‘पृथ्वी पर कोई शक्ति उस विचार को नहीं रोक सकती है, जिसका समय आ चुका है।’ पर अब 30 साल बाद, एक राष्ट्र के तौर पर हमें रॉबर्ट फ्रॉस्ट (अमरीकी कवि) की एक कविता को याद रखना है कि हमें अपने वादों को पूरा करने और मीलों का सफर तय करने के बाद ही आराम फरमाना है’’।