राजनीति

एमआरपी से अधिक मूल्य पर बेच रहे थे खाद्य तेल, ग्राहक बनाकर प्रशासन ने मारा छापा

गीतांजलि ऑयल का एक लीटर पैकिंग तेल 3 रुपए महंगा बेचा

Mar 05, 2022 / 02:12 am

अजय पालीवाल

Edible oil was being sold at a price higher than MRP, the administrati

खंडवा. रुस और यूक्रेन की जंग का असर किचन तक होने लगा रहा है। वहीं दूसरी तरफ कारोबारियों ने मुनाफाखोरी भी शुरू हो गई है। युद्ध के बहाने बाजार में तेल व्यापारी जमकर मुनाफाखोरी कर रहे है। युद्ध के कारण तेल के भाव में तेजी होने का बहाना व्यापारी कर रहे है युद्ध के दिनों में सोयाबीन तेल की कीमतें 40 रुपए किलो तक बढ़ गईं हैं। प्रशासन ने लगातार मिल रही शिकायतों के बीच शुक्रवार को शहर की एक तेल फर्म पर छापा मार दिया। ये कार्रवाई प्रशासन के अधिकारी ने ग्राहक बनकर की। एसडीएम अरविंद चौहान ने बताया कि शहर के मैसर्स द्वारकादास चेलाराम की फर्म पर एक व्यक्ति को ग्राहक बनाकर भेजा जिसने एक किलो तेल के पाउच खरीदा। जिसमें एमआरपी 150 रुपए से तेल कारोबारी ने 3 रुपए महंगा बेचा। जिसके बाद प्रशासन की टीम ने व्यापारी के विरुद्व नापतौल विभाग ने केस दर्ज करते हुए जुर्माने किया गया। बता दें कि शहर में खाद्य तेल की डिमांड और सप्लाई सामान्य है, इसके बावजूद कीमतें बढ़ गईं हैं। थोक कारोबारियों का कहना है कि महाराष्ट्र, दिल्ली और पश्चिम बंगाल के बड़े बाजारों में उथल-पुथल की वजह से खंडवा समेत कई जिलों में खाने के तेलों की कीमत बढ़ रही है। खाद्य तेल के थोक कारोबारियों ने बताया कि हफ्ते की शुरुआत में सोयाबीन तेल प्रति किलो 120 रुपए में बिक रहा था, लेकिन अभी यही तेल 170 रुपए किलो हो गया है।

सरसों तेल की कीमत भी बढ़ रही
तीसरी लहर में लॉकडाउन की संभावना की वजह से जनवरी में तेल की कीमतें थोड़ी बढ़ीं थीं। सरसों तेल 150 रुपए किलो से ज्यादा कीमत पर बिक रहा था, लेकिन जनवरी में लॉकडाउन की संभावना खत्म होने के बाद तेल की कीमत कम हो रही थी। यूके्रन में हमले के बाद से सरसों तेल फिर से महंगा होना शुरू हो गया है। बाजार में अभी 180 से 200 रुपए किलो में सरसों तेल बिक रहा है।
40 रुपए तक मुनाफाखोरी
तेल की कालाबाजारी और मुनाफाखोरी भी जमकर हो रही है। थोक विक्रेताओं की तरफ से रेट बढऩे के बाद चिल्लर विके्रताओं ने भी दोगुना दाम बढ़ा दिए। सोयाबीन तेल का थोक भाव 150 रुपए होने के बाद भी बाजार की दुकानों पर 10-20 रुपए प्रति लीटर भाव की अधिक कमाई की गई। युद्ध के मौके को अवसर के रूप में देखते हुए कुछ विके्रता जमाखोरी भी कर रहे है। शहर के मैसर्स द्वारकादास चेलाराम की फर्म पर एसडीएम की कार्रवाई के बाद बाजार में हड़कंप की स्थिति बन गई जिसके बाद बाजार की कई दुकानों पर तेल के दाम गिरा शुरू हो गए।

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