नई दिल्ली। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम ने सरकारी विभाग में अल्पसंख्यकों की गिनती पर मचे सियासी बवाल पर कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उन्हें कोई आदेश नहीं दिया। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों की संख्या को लेकर एक रिपोर्ट हर साल तैयार होता है। इस बार भी आयोग की ओर से सरकारी विभागों से जानकारी मांगी गई थी।
सिर्फ मुसलमानों के आंकड़े नहीं मांगे दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम ने कहा कि अल्पसंख्यक आयोग हर साल एक रिपोर्ट बनाता है। इसमें एक सेक्शन यह भी होता है कि दिल्ली सरकार में जितने भी विभाग हैं उसमें अल्पसंख्यकों की तादाद क्या है?
इसका ब्योरा सरकारी विभागों से हासिल करके आयोग उसे प्रकाशित करता है। इस बार हम ने दिल्ली सरकार के तकरीबन 175 विभागों को इस संबंध में लिखा कि उनके वहां जो भी अल्पसंख्यक काम करते हैं उनकी संख्या दीजिए।
उन्होंने बताया कि यह बात बिल्कुल गलत है कि हमने सिर्फ मुसलमानों का आंकड़ा मांगा है। हमने सभी अल्पसंख्यकों के आंकड़े की बात कही है। नहीं हुआ सुधार जफरुल इस्लाम खान ने कहा कि सरकारी विभाग में अल्पसंख्यकों की स्थिति में इस बार भी सुधार नहीं हुआ है। पिछले सालों की तरह इस बार भी जो आंकड़ा आ रहा है उसमें कोई भी सुधार नहीं हुआ है।
सरकारी विभागों में अल्पसंख्यकों की संख्याएं पहले की तरह कम हैं। यह अल्पसंख्यकों के हक में नहीं है। बैंकों को मॉनिटर करती है सरकार दिल्ली सरकार चाहती है कि अल्पसंख्यकों को सरकारी विभागों में बराबर का हिस्सा मिले।
दिल्ली सरकार अल्पसंख्यकों को लोन देने के तौर तरीकों को लेकर बैंकों को भी मॉनिटर करती है। हर तीन महीने पर दिल्ली सरकार बैंकों के साथ भी मीटिंग करती है।
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